डीजीपी उमेश मिश्रा ने आज राजस्थान यूनिवर्सिटी में लगी गुलदाउदी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस दौरान यूनिवर्सिटी के वीसी राजीव जैन भी मौजूद रहे। डीजीपी उमेश मिश्रा ने पूरी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। बता दें कि RU में 1986 से हर साल गुलदाउदी के फूलों की प्रदर्शनी लगाई जाती आ रही है। गुलदाउदी के पौधे आंगन की शान बढ़ाते हैं। वहीं इनको लगाने से मलेरिया के मच्छर भी इनके आस- पास नहीं आते। फूलों को पसंद करने वाले लोगों में इनका खास क्रेज होता है। जितना इन फूलों का महत्व होता है, उससे ज्यादा मुश्किल इन फूलों को संभालना होता है।
कोलकाता से लाए गए हैं गुलदाउदी के पौधे
कोरोना के बाद पहली बार लगाई जा रही इस प्रदर्शनी में लगभग 40 से 45 किस्में गुलदाउदी की तैयार की हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार किस्मों में बढ़त देखी गई है। इस बार कई रंगों के 3500 गमले तैयार किए गए हैं। राजस्थान के मौसम के अनुसार यहां हाइब्रिड किस्में तैयार होती हैं। कई रंगों में दिखने वाले गुलदाउदी के पौधे की ऊं चाई करीब 2 से 3 फीट होती हैं।
100 रुपए का एक पौधा
यूनिवर्सिटी की नर्सरी में लगाई जा रही इस सेल में खरीददारों को गुलदाउदी का एक पौधा 100 रुपए में मिलेगा। गुरुवार सुबह 9 बजे से 2 बजे तक ग्राहक यहां टोकन सिस्टम से खरीदारी कर पाएं गे। गुलदाउदी का यह पौधा कई वर्षों तक चलता है। प्रो. रामावतार शर्मा ने बताया कि पौधा कलकत्ता से मंगाकर 3 महीने तक नर्सरी में रखा जाता है। पौधों की के यर की जाती है। साल भर बाद फ्लावर का कलर भी चैंज हो जाता है। टहनी को काटकर दसू रे गमले में लगाया जाता है तो वहां भी यह पौधा उग जाता है।
हर्बल चाय से दिनभर फ्रेशनेस
गुलदाउदी के पौधों को सुखाने के बाद इसका हर्बल बनाकर पीने से हाथों से सम्बंधित ज्यादातर बीमारियों से निजात पाई जा सकती है। कफ, खांसी के उपचार के साथ ही इसकी चाय तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करती है, जिससे पूरे दिन फ्रेशनेस फील होती है। यह फूल मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों को रोकने में भी मदद करता है। दक्षिणी राज्यों में इसके फूलों की हर्बल चाय भी बनाई जाती है।
खरीदारों को इंतजार
कई वर्षों से गुलदाउदी पौधे को देखने आते हैं। इस बार कई नई वैरायटी के साथ पिछली बार से साइज से दोगुना है। हम लोग इस एक्जीबिशन का साल भर इन्तजार करते हैं।