प्रदेश के बहुचर्चित सवाईमाधोपुर के SHO फूल मोहम्मद हत्याकांड का 11 साल 8 महीने के बाद आखिर जिला और सेशन कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट 89 आरोपियों में से 30 को दोषी माना है और बाकी 49 को बरी कर दिया है। आरोपियों में तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक महेंद्र सिंह और मानटाउन थाने के सब इंस्पेक्टर सुमेर सिंह भी शामिल थे। इनमें से अब कोर्ट ने सुमेर सिंह को बरी कर दिया है, जबकि महेंद्र सिंह को दोषी करार दिया है।
गौरतलब है कि मानटाउन थाना क्षेत्र में 11 साल पहले 17 मार्च 2011 में पुलिस इंस्पेक्टर फूल मोहम्मद को सूरवाल गांव में जीप में जिंदा जला दिया गया था। मामले की जांच एजेंसी सीबीआई ने दो बाल अपचारी सहित 89 लोगों के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश किया था। यह भी बता दें कि लगभग 11 साल की न्यायिक ट्रॉयल के दौरान मामले से जुड़े पांच आरोपियों की मौत हो चुकी है। ऐसे में अब न्यायालय तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक महेन्द्र सिंह कालबेलिया सहित 30 लोगों को इस मामले का दोषी करार दिया गया है।
इसलिए हुई थी SHO फूल मोहम्मद की हत्या
दरअसल सवाई माधोपुर के मानटाउन थाना क्षेत्र के सूरवाल गांव में 17 मार्च 2011 को लोग मृतका दाखा देवी के हत्यारों को गिरफ्तार करने और पीड़ित के परिजनों को मुआवजे की मांग कर रहे थे। इसी दौरान राजेश मीणा और बनवारी लाल मीना नामक युवक बोतलों में पेट्रोल लेकर पानी की टंकी पर चढ़ गए और आत्महत्या की धमकी देने लगे। बनवारी को लोगों ने समझाईश कर नीचे उतार लिया, लेकिन राजेश मीना पेट्रोल से खुद को आग लगाकर टंकी से नीचे कूद गया।
घटना से गुस्साए लोगों ने सुरक्षा की दृष्टि से सूरवाल गांव में तैनात मानटाउन थाने के सीआई फूल मोहम्मद और पुलिस जवानों पर पथराव कर दिया। जान बचाने के प्रयास में फूल मोहम्मद जीप चलाकर भागने लगे तो भीड़ ने उन पर पथराव कर दिया। जीप में मौजूद पुलिसकर्मी जैसे-तैसे वहां से भाग गए। पत्थर लगने से फूल मोहम्मद जीप में घायल हो गए। बाद में भीड़ ने जीप को पेट्रोल छिड़ककर आग के हवाले कर दिया जिससे उनकी मौत हो गई।
ट्रायल के दौरान पांच आरोपियों की हो चुकी है मौत
सबसे अहम बात यह थी कि अधिकारी के रूप में तत्कालीन डीएसपी महेंद्र सिंह कालबेलिया मौजूद थे और पूरी कार्रवाई उनकी निगरानी में ही हो रही थी। जब SHO फूल मोहम्मद पुलिस जीप में फंस गए थे, तभी उनकी गाड़ी में आग लगा कर जिंदा जला दिया गया। इस घटना की पूरी जिम्मेदारी कालबेलिया पर आई। जांच के दौरान भी सीबीआई ने महेंद्र सिंह को इस हत्याकांड के लिए दोषी माना था। सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार उक्त हत्याकांड में पूर्व डीएसपी कालबेलिया का जुर्म साबित करने में मानटाउन थाने का हिस्ट्रीशीटर बदमाश संजय बिहारी सबसे अहम गवाह था। संजय के बयान न्यायालय में न्यायाधीश के समक्ष होने से पहले ही उसकी जयपुर में हत्या हो गई। इस ट्रायल के दौरान पांच आरोपियों की मौत हो चुकी है। जबकि अभी 3 आरोपी फरार ही हैं।
इस तरह 10 आरोपी हुए कम
दरअसल इस मामले में जो आरोपी थे उनमें से 5 की तो इन 11 सालों में मौत हो चुकी है, दो बाल अपचारी हैं जिन्हें निरुद्ध किया गया जबकि तीन लोग अभी भी इस मामले में फरार चल रहे हैं।
बता दें कि इस बहुचर्चित मामले की 11 साल लंबे ट्रायल के बाद कोर्ट के फैसला सुनाए जाने को लेकर सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए गए थे। न्यायालय परिसर में भारी पुलिस जाब्ता तैनात किया गया था।