जयपुर- राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज और कल भी जो कुछ मीडिया से कहा उसका यही आंकलन लगाया जा रहा है कि वह अपने खिलाफ की गई साजिश से बहुत दुखी हैं। सबसे ज्यादा दुःख इस बात का है कि जिस गांधी परिवार से उनकी सबसे ज्यादा निकटता थी, उनको साजिश से दूर करने की कोशिश की गई। मुख्यमंत्री गहलोत ने इशारों ही इशारों में बहुत कुछ कह साजिशकर्ताओं को संदेश भी दिया है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुख्यमंत्री गहलोत गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद नेताओं में रहे हैं। सुख-दुःख में हमेशा साथ खड़े रहते थे।
जानकार भी मानते हैं कि गहलोत को अगर उनके हिसाब से अध्यक्ष और मुख्यमंत्री बने रहने दिया जाता तो पार्टी को देशभर में लाभ मिलता। उनके अध्यक्ष पद के लिए नामांकन न भरने से देशभर के कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव है। गहलोत को कांग्रेस की राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है। 2017 के गुजरात चुनाव में उन्होंने इसे साबित भी किया। पहले एक वोट से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के तब के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल को राज्यसभा में जितवाया, फिर विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती दी। एक बार के लिए तो कांग्रेस जीतती दिख भी रही थी, वो तो कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर के एक बयान ने खेल बिगाड़ दिया।
ऐसे नेता के खिलाफ वह भी अपनों के द्वारा साजिश रचा जाना हैरानी जताता है। ये साजिशकर्ता साथ उठते बैठते थे, लेकिन पीठ पीछे षड्यंत्र में लगे थे। सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों जब से अशोक गहलोत का नाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चला तब से ही षड्यंत्र करने वालों के कान खड़े हो गए थे। अशोक गहलोत के बढ़ते कद को देखते हुए इन लोगों ने आलाकमान के कान भरना शुरू कर दिया, ये वही लोग हैं, जिन्होंने आलाकमान को अंधेरे में रखकर कई बार गलत फैसले करवाए।
जिसका नुकसान कांग्रेस को आज तक उठाना पड़ रहा है। क्योंकि घटनाक्रम को अगर ध्यान से देखा जाए तो कई बातें सामने आती हैं कि पिछले 50 वर्षों से अशोक गहलोत कांग्रेस और गांधी परिवार के प्रति वफादार हैं और हर बार यह बात भी सार्वजनिक रूप से गहलोत को स्वीकारते हुए देखा गया है कि गांधी परिवार ने उन्हें बहुत कुछ दिया है, गहलोत पर आज तक पार्टी विरोधी गतिविधि का एक भी आरोप नहीं है। उल्टा गहलोत कई बार पार्टी के लिए संकटमोचक बन कर उभरे हैं।
सिपहसालारों का जनाधार नहीं, लेकिन आलाकमान को करते हैं गुमराह
कांग्रेस आलाकमान के इर्द गिर्द कुछ ऐसे लोगों की फौज है, जिनका कोई जनाधार नहीं है और उनका काम सिर्फ आलाकमान को सलाह देना है, उनकी सलाह उस प्रकार होती है जिससे उन लोगों के स्वार्थ में कोई रोड़ा ना आए, चाहे पार्टी की दुर्दशा हो जाए, ऐसे ही लोगों ने पार्टी हाई कमान के विश्वास का फायदा उठाते हुए आज निजी स्वार्थ के कारण पार्टी को इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया।
गद्दारी करने वालों काे सत्ता क्यों!
आमजन में चर्चा है कि जिन कांग्रेसी विधायकों को पार्टी के खिलाफ भाजपा के साथ मिलकर काम करने के लिए बर्खास्त किया था, उन्हें हाई कमान सत्ता क्यों देना चाहेगी! यह बड़ा सवाल है। यह फैसला हाई कमान को गुमराह कर लिया लगता है। क्योंकि कोई भी आलाकमान नहीं चाहेगा कि गद्दारी करने वालों को सत्ता सौंप वफादारों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। ऐसा लगता है, यह फैसला उन सिपहसालार का है जिन्होंने गहलोत के खिलाफ साजिश की पटकथा रची थी, जो गहलोत की छवि को खराब करके हाई कमान को फिर अंधेरे में रखना चाहते थे।
साजिश पर नहीं हुआ यकीन
सीएम के एक करीबी नेता ने गहलोत को साजिश के बारे में बताया तो उन्हें यकीन नहीं हुआ, जबकि विधायक साजिश की बू पाते ही अपने नेता गहलोत के पक्ष में खड़े हो गए और षड्यंत्र को सफल नहीं होने दिया, लेकिन उनको ही पूरे घटनाक्रम के लिए दोषी बता गांधी परिवार से दूर करने की कोशिश की। गहलोत ने बड़ा दिल दिखा पूरे मामले को अपने ऊपर ले सार्वजनिक माफी मांग नया इतिहास रच दिया। उन्होंने गांधी परिवार के प्रति सम्मान दिखा यही संदेश दिया कि वह आज भी परिवार के साथ हैं।