सरिस्का में 8 साल बाद दिखा दुर्लभ चौसिंगा हिरण, 2014 में दिखा था आखिरी बार

अलवर। वन और वन्य जीव प्रेमियों के लिए सरिस्का बाघ अभयारण एक खुशखबरी लेकर आया है। यह सिर्फ वन्यजीव प्रेमियों के लिए ही नहीं बल्कि…

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अलवर। वन और वन्य जीव प्रेमियों के लिए सरिस्का बाघ अभयारण एक खुशखबरी लेकर आया है। यह सिर्फ वन्यजीव प्रेमियों के लिए ही नहीं बल्कि प्रकृति के लिए भी वरदान है। दरअसल जिले के सरिस्का बाघ अभ्यारण में 8 साल बाद वन्य जीव चौसिंगा देखा गया। यह सरिस्का टाइगर रिजर्व के लिए एक शुभ संकेत की तरह माना जाना जा रहा है। इससे पहले वर्ष 2014 में अंतिम बार यह वन्यजीव देखा गया था।

कैमरा ट्रैप के दौरान हुआ कैद

हिरण की यह दुर्लभ प्रजाति चौसिंगा के नाम से जानी जाती है। यह वन्यजीव सरिस्का में दिखाई देने के बाद अब इसकी मॉनिटरिंग की जा रही है। यह वन्यजीव कैमरा ट्रैप के दौरान दिखाई दिया। सरिस्का के उप वन संरक्षक डीपी जागावत ने बताया कि चौसिंगा वन्यजीव की संख्या यहां एक से अधिक हो सकती है। इसे जानने के लिए और कैमरे लगाए जाएंगे। इसके अलावा जो भी सरिस्का में कैमरे लगे हुए हैं उनका भी परीक्षण किया जा रहा है कि यहां यह चोसिंगा वन्यजीव कितने हैं।

2014 में आखिरी बार देखा गया था

उन्होंने बताया कि यह वन्यजीव रोटकेला जंगल में दिखाई दिया। रोटकेला गांव का पूर्व में विस्थापन हो चुका है और गांव के विस्थापन के बाद उस इलाके में यह वन्यजीव दिखाई दिया है। उन्होंने बताया कि अंतिम बार जब 2014 में ही देखा गया था जब भी इसकी संख्या 1- 2 ही थी। अब इसके संरक्षण के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए सरिस्का टीम को मॉनिटरिंग के लिए लगाया गया है।

उप वन संरक्षक डीपी जागावत ने बताया कि यह वन्यजीव व्यस्क है। इसके पीछे के दो सींग बड़े होते हैं और आगे के दो सींग छोटे होते हैं। इससे इसकी पहचान होती है। बीते 26 नवंबर और 30 नवंबर को कैमरा ट्रैप पद्धति के माध्यम से इसको देखा गया। उन्होंने बताया कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए यहां गांव का विस्थापन जरूरी है और सरिस्का प्रशासन का प्रयास है कि जल्द ही यहां के गांव का विस्थापन किया जाए इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। गत दिनों कुछ परिवारों का विस्थापन यहां से किया गया था।

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