Rajasthan Politics : बीती रात राजस्थान कांग्रेस में जो भूचाल आया उसने खुद को पूरे देश की राजनीति के केंद्र में रख दिया है। अब राजस्थान का मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा इसे कांग्रेस हाईकमान के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती माना जा सकता है। यहां तक कि राहुल गांधी औऱ सोनिया गांधी तक को भी इस कदर के सियासी भूचाल का अंदाजा नहीं होगा। पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए इतनी गहमागहमी हुई और अब राजस्थान के नए मुख्यमंत्री पद के लिए यही देखा जा रहा है। इन 10 बातों में समझिए राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति का रुख किस तरफ जा सकता है।
1- अगर दिल्ली में बैठा कांग्रेस आलाकमान गहलोत गुट के विधायकों की बात मान लेता है तो सीधे तौर पर सचिन पाय़लट सीएम की रेस से बाहर हो जाएंगे औऱ मुख्यमंत्री किसी औऱ को चुना जाएगा।
2- सचिन पायलट के मुख्यमंत्री न बन पाने से पायलट समर्थक विधायक एक बार फिर से बगावती सुर दिखा सकते हैं।
3- कांग्रेस के पास इस समय 108 विधायक हैं। इसमें से 92 गहलोत विधायकों ने इस्तीफा सौंपा है। वहीं पायलट के पास 16 विधायकों का समर्थन बताया जा रहा है। अगर पायलट समर्थक बागी होते हैं तो सरकार गिरने की स्थिति बन सकती है। क्योंकि बहुमत 100 सीटों पर ठहरता है। सचिन पायलट के विधायकों के बागी होने पर यह संख्या 88 रह जाती है।
4- अगर दिल्ली से गहलोत गुट के विधायकों की बात नहीं मानीजाती है तो स्थिति बेहद नाजुक हो सकती है। क्योंकि 92 विधायकों का इस्तीफा देने का मतलब है कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार गिर सकती है।
5- कांग्रेस इस समय सिर्फ दो राज्यों में सत्ता पक्ष में है इसलिए वो यह नहीं चाहेगी कि बैठे-बिठाए किसी राज्य में उसके हाथ से सत्ता की बागडोर खिसक जाए।
6- इसलिए गहलोत गुट की बातों पर विचार करना हाईकमान का एक अनिवार्य विकल्प बन गया है। इस विकल्प को चुनने पर उसके पायलट गुट की संभावित चुनौती के लिए भी तैयार हो जाना चाहिए।
7- इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा ने नजर बना रखी है। सिर्फ प्रदेश ही नहीं भाजपा की आलाकमान भी राजस्थान में हो रहे सियाली बदलाव की पल-पल की जानकारी ले रहा है।
8- भाजपा इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर पूरी तरह आक्रामक है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे को नाटक करार दिया है।
9- ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि भाजपा पायलट गुट के संपर्क में है। लेकिन नंबर गेम को समझते हुए पायलट गुट के भाजपा के साथ आने का भी कुछ खास फायदा दिखता नजर नहीं आ रहा है।
10- राहुल गाँधी की एक व्यक्ति एक पद नीति को राजस्थान के संदर्भ में लागू न करने की गहलोत गुट की मांग अगर मानी जाती है तो इसे लेकर एक बार फिर भाजपा कांग्रेस पर हमलावर हो सकती है। इसी के साथ ही राहुल गांधी के उदयपुर संकल्प पर भी सवाल खड़े कर सकती है।