चूरू के सरदारशहर उपचुनाव में अब लड़ाई सिर्फ कांग्रेस और भाजपा में ही दिखेगी क्योंकि बसपा ने उपचुनाव के मैदान में उतरने से साफ इनकार कर दिया है। बसपा का कहना है कि उसका मुख्य फोकस अभी सिर्फ 2023 का चुनाव है। इसलिए वह सरदारशहर के चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी।
राजस्थान बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान बाबा ने ट्वीट कर कहा कि बसपा के केंद्रीय नेतृत्व ने फैसला लिया है कि सरदारशहर में होने वाले उपचुनाव में पार्टी अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं करेगी। क्योंकि इस समय बसपा जिला स्तर बाद अब विधानसभा स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन करने में जुटी है। अभी पार्टी का लक्ष्य सिर्फ 2023 है। हमें बैलेंस और पॉवर बनाकर प्रदेश में अपनी सरकार बनानी है।
अभी तक एक भी विधायकों की नहीं हुई ‘घरवापसी’
बता दें कि करीब महीने पहले बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे और बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद ने केंद्रीय नेतृत्व के आदेशानुसार एक बैठक की थी। जिसमें उन्होंने 2023 चुनाव के लिए कार्ययोजना बनाई थी। इसी बैठक में यह भी फैसला हुआ था कि बसपा अपने पार्टी के छोड़े गए सदस्यों और विधायकों को वापस पार्टी में लेकर आएगी। जिसके लिए विशेष रूप से अभियान चला जा रहा है। हालांकि अभी तक एक भी विधायक ने बसपा में वापसी नहीं की है।
1998 में प्रदेश में अस्तित्व में आई थी बसपा, अब है ये हाल
बसपा पहली बार 1998 के चुनाव में प्रदेश की राजनीति के अस्तित्व में आई थी। तब पार्टी के 2 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2003 में फिर से 2 उम्मीदवार जीते। इसके बाद साल 2008 में पार्टी के 6 प्रत्याशी जीते थे, लेकिन जीतकर व कांग्रेस में शामिल हो गए थे। साल 2013 में पार्टी के 3 सीटें जीती थीं। इसके बाद अभी साल 2018 के चुनावों में भी बसपा ने 6 सीटें जीती थीं लेकिन 2019 में राजेंद्र गुढ़ा समेत ये 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। यानी 1998 से अब तक इन 24 सालों में बसपा ने दो बार अधिकतम 6 सीटें जीतीं लेकिन इन दोनों ही बार उसके सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। संयोग की बात यह है कि दोनों ही बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही रहे। बता दें कि चूरु के सरदारशहर में 5 दिसंबर को वोटिंग है और गुजरात के साथ ही 8 दिसंबर को इसके नतीजे आएंगे।