Bharatpur Mining Case : भरतपुर में खनन के खिलाफ आंदोलन करते हुए साधु विजयदास ने खुद को आग लगा ली थी। जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इसे लेकर पूरे देश में आक्रोश फैला था। लेकिन अब शायद साधू विजयदास के बलिदान का असर हो गया है। क्योंकि जिन कनकांचल और आदिबद्री क्षेत्रों में खनन रोकने के लिए 551 दिन तक साधुओं ने आंदोलन किया और इसके लिए साधू विजयदास ने खुद को आग लगाकर आत्मदाह कर लिया। उस क्षेत्र में खनन पूरी तरह से बंद हो गया है।
कनकांचल व आदिबद्री क्षेत्र की सभी खानों का प्रीमैच्योर टर्मिनेशन
बता दें कि राज्य सरकार ने अलग-अलग आदेश जारी कर कनकांचल और आदिबद्री पर्वत क्षेत्र के सभी 46 खनन पट्टों को प्रीमैच्योर टर्मिनेट कर दिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि विभाग ने सभी 46 खनन पट्टाधारियों को नियमानुसार सुनवाई का अवसर देने के बाद 18 अगस्त, 22 को खनन पट्टों के निरस्तीकरण के आदेश जारी किए है। उप सचिव माइंस नीतू बारुपाल के हस्ताक्षर से जारी सभी लीज पट्टों के निरस्तीकरण आदेशों के साथ ही अब यह क्षेत्र पूरी तरह से खननमुक्त हो गया है।
551 दिन तक साधुओं ने किया था आंदोलन
साधुओं के इस क्षेत्र में खनन रोकने के लिए 551 दिन तक आंदोलन किया था। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री तक से मुलाकात कर इस क्षेत्र में खनन रोकने के लिए मांग की थी। उस वक्त मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कानूनी तरीके से इसे रोकने का आश्वासन दिया था। हालांकि यह कार्य कानूनी प्रक्रिया के तहत हो भी रहा था। लेकिन जिनकी वैध लीज थीं उन्हें ऐशे सीधे नहीं हटाया जा सकता था। जिससे साधुओं ने नाराज होकर इस प्रक्रिया में देरी और खनन को पूरी तरह से बंद न कराने को लेकर आत्मदाह की चेतावनी दी थी। जिसके बाद साधू विजयदास ने खुद को आग के हवाले कर दिया था।
जिसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कनकांचल और आदिबद्री पर्वत क्षेत्र में खनन कार्य बंद कराने के साथ ही इस क्षेत्र को वन भूमि में परिवर्तित करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद खनन विभाग के सहयोग से क्षेत्र में खनन कार्य पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। अब क्षेत्र की सभी 46 खानों में खनन कार्य बंद हो गया है।
क्षेत्र की 757.40 हैक्टेयर जमीन वन भूमि घोषित
एसीएस डॉ. अग्रवाल ने बताया कि भरतपुर जिले के आदिबद्री पर्वत तहसील सीकरी एवं कनकांचल पर्वत तहसील पहाडी क्षेत्र धार्मिक एवं पुरातात्विक महत्व का होने से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर राज्य सरकार ने क्षेत्र की 757.40 हैक्टेयर भूमि को वन भूमि घोषित किया। इसके बाद जिला कलक्टर भरतपुर आलोक रंजन ने 21 जुलाई, 2022 को एक आदेश जारी कर इस भूमि को वन विभाग को हस्तांतरित किया गया।
उन्होंने बताया कि आदिबद्री व कनकांचल पर्वत क्षेत्र के आस पास 147.36 हैक्टेयर क्षेत्र में स्वीकृत मेसनरी स्टोन के 45 खनन पट्टे एवं सिलिका सेण्ड के एक खनन पट्टा कुल 46 खनन पट्टे स्वीकृत थे। खान विभाग द्वारा स्वीकृत 46 खनन पट्टों का क्षेत्र वन भूमि में होने से नियमानुसार सभी खनन पट्टाधारी को 15 दिन का नोटिस जारी कर सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। उसके बाद 18 अगस्त, 22 को आदेश जारी कर सभी खनन पट्टा नियमानुसार समयपूर्व समाप्त कर दिए गये हैं।