Sheetala Ashtami : आज बनेगा रांधापुआ, मां शीतला का पूजन 15 मार्च को

Sheetala Ashtami 2023 : सनातन धर्म में चैत्र माह की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। स्थानीय भाषा में…

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Sheetala Ashtami 2023 : सनातन धर्म में चैत्र माह की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। स्थानीय भाषा में इसे बास्योड़ा भी कहा जाता है। इस वर्ष यह पर्व 15 मार्च 2023 को मनाया जाएगा। इस दिन मां शीतला की पूजा की जाती है और ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से पूरे वर्ष स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसके साथ ही गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन शीतला माता का व्रत कर ,विधि-विधान से पूजन करने से और कथा सुनने से आरोग्यता प्राप्त होती है।सप्तमी के दिन रांधापुआ बनाया जाता है।

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शीतला सप्तमी और अष्टमी का शुभ मुहूर्त्त
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 13 मार्च 2023 की रात 9 बजकर 27 मिनिट पर शुरू होगी। इसका समापन 14 मार्च 2023 को रात 8 बजकर 22 मिनिट पर होगा। उदयात तिथि के अनुसार शीतला सप्तमी 14 मार्च को मानी जाएगी। इस दिन शीतला माता की पूजा का समय सुबह 6 बजकर 31 से शाम 6 बजकर 29 मिनिट तक रहेगा।

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 14 मार्च को रात 8 बजकर 22 मिनिट से शुरु होकर 15 मार्च को शाम 6 बजकर 45 मिनिट पर होगा। इस तरह 15 मार्च को शीतला अष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन शीतला माता की पूजा का समय सुबह 6 बजकर 30 मिनिट से शाम 6 बजकर 29 मिनिट तक रहेगा।

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शीतला पूजन का महत्व
स्कंद पुराण के अनुसार माता शीतला माता गधे की सवारी करती है। उनके हाथ में कलश ,झाडू़ और सूपड़ा रहता है। इसके साथ ही वह नीम के पत्तों की माला पहनती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता शीतला का व्रत करने वाली महिलाओं के बच्चे निरोगी रहते हैं।देवी शीतला की पूजा से बुखार ,खसरा,चेचक ,आंखों के रोग आदि बीमारियों का निवारण होता है।सप्तमी के दिन रांधापुआ बनाया जाता है । माता के लिए पकवान बनाये जाते हैं। इन पकवानों का अष्टमी के दिन माता को भोग लगाया जाता है।

इसलिए लगाते हैं बासी या ठंडा भोग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला अष्टमी पर शीतला माता को ठंडे और बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।यही बासी और ठंडा भोजन फिर सभी परिवारजन प्रसाद के रुप में ग्रहण करते हैं। अष्टमी के दिन हिंदू धर्मावलंबियों के घरों में चूल्हा नहीं जलता है। इस दिन जो महिलाएं शीतला माता की कथा सुनती और व्रत करती है तो पूरे साल उनका परिवार निरोगी रहता है।इस दिन माता को बासी और ठंडे पकवानों का भोग लगाने का वैज्ञानिक कारण भी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन के बाद से गर्मी का मौसम शुरु हो जाता है। गर्मी के मौसम में ताजा भोजन करना ही स्वास्थ्यकर माना जाता है। शीतला अष्टमी का दिन ठंडा भोजन करने का आखिरी दिन माना जाता है।

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