Shardiya Navratri 2023 : आश्विन माह की अमावस्या अर्थात 14 अक्टूबर से पितृ पक्ष का समापन होगा। हर साल पितृ पक्ष के समापन के अगले दिन से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती हैं। 15 अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है और इसी दिन से नवरात्रि की शुरुआत होगी। सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का खास महत्व है। हिंदू धर्म में भक्त नवरात्रि के दौरान 9 दिनों में मां अंबे के अलग-अलग दिन नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं।
हिंदू धर्म में नवरात्रि के 9 दिन शक्ति की साधना के लिए बेहद शुभ और पवित्र माने गए हैं। नवरात्रि पर मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि- विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
पंचांग के अनुसार, इस बार नवरात्रि 15 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 24 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इसी दौरान दुर्गा पूजा और विजयादशी का महापर्व भी मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में जिस भगवती दुर्गा को ब्रह्मांड की सबसे बड़ी शक्ति माना गया है, उनकी पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और धार्मिक महत्व आदि को आइए विस्तार से जानते हैं।
15 अक्टूबर – घटस्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा।
16 अक्टूबर – मां ब्रह्मचारिणी की पूजा।
17 अक्टूबर – तृतीया तिथि, मां चंद्रघंटा पूजा।
18 अक्टूबर – चतुर्थी तिथि, मां कूष्मांडा की पूजा।
19 अक्टूबर – पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता की पूजा।
20 अक्टूबर – षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी की पूजा।
21 अक्टूबर – सप्तमी, मां कालरात्रि की पूजा।
22 अक्टूबर – दुर्गा अष्टमी, मां महागौरी की पूजा।
23 अक्टूबर – महानवमी, मां सिद्धिदात्री की पूजा, हवन।
24 अक्टूबर – नवरात्रि पारण, विसर्जन और विजयादशमी।
नवरात्रि में कब और कैसे करें घट स्थापना…
सनातन परंपरा के अनुसार, नवरात्रि के पर्व पर देवी दुर्गा की साधना और उनके लिए रखा जाने वाला व्रत प्रतिपदा तिथि पर घट स्थापना के साथ प्रारंभ होता है। पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानि 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त शुरू हो रहा है और इस दिन दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक ये मुहूर्त रहेगा। ऐसे में इसी शुभ समय में अपने घर या मंदिर के ईशान कोण में पूरे विधि-विधान से घट की स्थापना करें।
घटस्थापना से पहले करें ये जरूरी काम…
घट को किसी चौकी पर अक्षत रखकर रखें।
घट में गंगाजल या शुद्ध जल के साथ एक सिक्का, भी डाल दें और उसे चुनरी से लपेटकर उसके चारों तरु जौ बो दें।
इसके बाद घट के मुख में आम की पत्ती और नारियल रखें फिर विधि-विधान से उसकी पूजा करें।
प्रतिदिन देवी पूजा के साथ घट की भी पूजा करें और नवरात्रि के अंतिम दिन इसके पवित्र जल को सभी के ऊपर छिड़कें और इसे तुलसी के पौधे पर विसर्जित कर दें।
नवरात्रि में 9 देवियों की पूजा का धार्मिक महत्व…
मां शैलपुत्री : नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के पहले स्वरूप यानि माता शैलपुत्री की पूजा विधान है। बैल की सवारी करने वाली देवी शैलपुत्री की पूजा लाल रंग के पुष्प चढ़ाकर करने पर आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां ब्रह्मचारिणी : देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप यानि मां ब्रह्मचारिणी की साधना करने पर लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां चंद्रघंटा : नवराात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा का विधान है। मान्यता है कि माथे पर चंद्रमा को धारण करने वाली दुर्गा के इस स्वरूप की पूज से व्यक्ति हमेशा बुरी बलाओं से बचा रहता है।
मां कुष्मांडा : देवी दुर्गा का के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा कारे पर साधक की बुद्धि का विकास होता है और वह जीवन के सभी क्षेत्र में मनचाही सफलता प्राप्त करता है।
मां स्कंदमाता : देवी दुर्गा के पांचवे स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूजा करने पर व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।
मां कात्यायनी : देवी दुर्गा का छठा रूप मानी जाने वाले माता कात्यायनी की पूजा करने पर सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
मां कालरात्रि : देवी दुर्गा का सातवां स्वरूप कालरात्रि का है। मां कालरात्रि की पूजा करने पर भक्त के सभी शोक दूर होते हैं।
मां महागौरी : देवी दुर्गा का आठवां स्वरूप मां महागौरी का है। जिनकी पूजा करने से सुख-सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां सिद्धिदात्री : देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप यानि सिद्धिदात्री की पूजा करने पर सभी कार्य बगैर किसी बाधा के सिद्ध होते हैं।
पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट…
नवरात्रि में मां देवी की पूजा करने के लिए प्रतिदिन ये सामाग्री होनी होना आवश्यक है। इनमें लाल वस्त्र, लाल चुनरी, मौली, श्रृंगार का सामान, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, फल-मिठाई, कलावा, दीपक, घी/ तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम और फूल इत्यादि।