शिव भक्तों के लिए सावन अपार खुशियां लेकर आता है। इस बार भक्त 60 दिन तक भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहने वाले हैं। दरअसल, इस बार सावन 31 अगस्त तक चलेगा। आज हम आपको देवाधिदेव भोलेनाथ को लेकर एक ऐसे रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसको जानकर आप भी दंग रह जाएंगे। यह रहस्य उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले से लगभग 35 किलोतीटर दूर स्थित रुद्राव्रत भगवान शिव का ऐसा संसार है जिसके सामने विज्ञान भी फेल है।
यह खबर भी पढ़ें:-Sawan First Somwar 2023 : धर्म-कर्म ही नहीं और भी कई संदेश देता है ‘सावन’, जानें-क्यों बेहद खास?
क्या है वो रहस्य जिसके सामने विज्ञान भी फेल
ऐसा मान्यता है कि रुद्राव्रत में भगवान शिव का ऐसा संसार है जहां ऊँ नम: शिवाय का जप करके फल दूध बेलपत्र नदी में अर्पित करने पर देवाधिदेव उसको स्वीकार कर लेते हैं और वो सारी चीजें देखते ही देखते नदी में समा जाती है और भक्त के प्रसाद की अरदास लगाने पर एक फल पानी के अंदर से बाहर वापस आ जाता है। शिव का ये अदृश्य संसार देखकर लोग आज भी अचंभित हैं। लोगों ने इस रहस्य का पता लगाने का भी बहुत प्रयास किया है, लेकिन अभी तक इस रहस्य को जान नहीं पाया है।
सावन में शिव की भक्ति में लीन रहते हैं भक्त
देशभर में भक्त सावन के महीने में शिव भक्ति में लीन रहते हैं। लोग प्राचीन मंदिरों से लेकर शिवालयों तक पूर्जा अर्चना करके देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। सावन के महीने में शिव मंदिरों में भक्तों की लाइन लगी रहती है। लेकिन रुद्राव्रत तीर्थ न सिर्फ कई मायनों में खास है बल्कि रहस्य और रोमांच से भरपूर भी है।
यह खबर भी पढ़ें:-Sawan First Somwar 2023 : ‘बोल बम’ की गूंज, शिवालयों से सड़कों तक बह रही शिव भक्ति की बयार
पानी के अंदर भगवान शिव स्वीकार करते हैं दूध-बेलपत्र
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कई सालों से यहां एक शिव मंदिर स्थित था, लेकिन बाद में वो मंदिर जल के अंदर समा गया था। कहा जाता है जब नदी में जलस्तर कम होता है तो मंदिर के अवशेष दिखाई भी देते हैं। मान्यता कि उस स्थान पर नदी के अंदर शिवलिंग भी है। जिस कारण जो भी भक्त भगवान शिव को याद कर नदी में दूध बेलपत्र और फल अर्पित करते हैं वो शिवलिंग इसे स्वीकार कर लेता है।