जयपुर। पुराणों के अनुसार भगवान कल्कि का जन्म सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को संभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नाम के एक ब्राह्मण परिवार में होगा। भगवान कल्कि के पिता भगवान विष्णु के भक्त होंगे। साथ में वह वेदों और पुराणों के ज्ञाता भी होंगे। भगवान कल्कि सफेद घोड़े पर सवार होकर पापियों का नाश करके फिर से धर्म की रक्षा करेंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कल्कि के अवतार लेते ही सतयुग का आरम्भ और कलियुग का अन्त होगा।
कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हो चुका है, जिसका अभी प्रथम चरण चल रहा है। मान्यता है कि कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्षों का होगा, जिसमें से कलियुग के 5126 साल बीत चुके हैं और 426875 साल अभी बाकी हैं। यानी कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होने में अभी करीब 426875 साल बाकी हैं।
यह खबर भी पढ़ें:-उज्जैन के इस मंदिर में लाेग रोगों से मुक्ति और मोक्ष प्राप्ति के लिए जलाते हैं दीपक
गर्भगृह में पत्नी के साथ हैं विराजमान
मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु के 10वें अवतार भगवान कल्कि और उनकी लक्ष्मीस्वरूपा पत्नी पदमा की मूर्तियां हैं। भगवान कल्कि की दूसरी पत्नी रमा की मूर्ति का स्थान अभी रिक्त है। पुजारी पंडित महेंद्र शर्मा कहते हैं- स्कंदपुराण में वर्णन है कि भगवान कल्कि की 2 पत्नी होंगी। एक लक्ष्मीस्वरूपा पदमा और दूसरी उनकी संहारिणी शक्ति रमा के रूप में होंगी। फिलहाल मंदिर के गर्भगृह में उनकी लक्ष्मीस्वरूपा पत्नी पदमा की मूर्तिविराजित है। दूसरी पत्नी रमा होंगी जो अभी वैष्णो देवी के रूप में पहचानी जा रही हैं।
मंदिर के पास स्थित कल्कि पीठ में एक सफेद रंग के घोड़े की भी मूर्ति लगी है। हिदं धू र्मशास्त्रों में कहा गया है कि कल्कि अवतार को भगवान शिव देवदत्त नाम का एक सफेद घोड़ा देंगे। इस सफेद घोड़े की मूर्ति के तीन पैर जमीन पर हैं और चौथा हवा में उठा है। लोगों का कहना है कि यह पैर धीरे-धीरे नीचे झुक रहा है। जिस दिन यह पूरा झुक जाएगा समझा जाएगा कि कल्कि का अवतार हो चुका है।
मंदिर की विशेषता
कल्कि धाम दूनिया का सबसे अनोखा मंदिर होगा। कल्कि धाम पहला धाम है, जहां भगवान के अवतार से पहले उनका मंदिर स्थापित किया जा रहा है।
इस मंदिर में एक नहीं बल्कि 10 गर्भगृह होंगे। इस मंदिर में भगवान विष्णु के दस अवतारों के दस अलग-अलग गर्भगृह स्थापित किए जाएंगे।
इस मंदिर का निर्माण उसी गुलाबी रंग के पत्थर से किया जा रहा है, जिसका उपयोग सोमनाथ मंदिर और अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण में किया गया है।
इस मंदिर के निर्माण में किसी भी स्टील या लोहे के फ्रेम का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंदिर का शिखर 108 फीट ऊंचा होगा। मंदिर का
चबूतरा 11 फीट ऊंचा बनाया जाएगा। यहां 68 तीर्थ स्थापित किए जाएंगे।
मंदिर का निर्माण लगभग 5 एकड़ भूमि पर किया जाएगा और इसके निर्माण में लगभग 5 साल का समय लग सकता है। इसमें 68 तीर्थों की स्थापना की जाएगी।
यह खबर भी पढ़ें:-‘राम लला’ के बाद अब होगी ‘शिव’ की प्राण प्रतिष्ठा, 25 साल में बनकर तैयार हुआ है ये ‘ॐ’ आकार का मंदिर