जयपुर। गणेश चतुर्थी मंगलवार को धूमधाम से मनाई जाएगी। शहर के प्रमुख मंदिरों में गणेश जन्मोत्सव पर विशेष झांकी और पूजन आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर शहर के प्रमुख मंदिर मोती डूंगरी, गढ़ गणेश जी, नहर के गणेश जी, बंगाली बाबा गणेश मंदिर, परकोटे के गणेश जी, ध्वजाधीश गणेश मंदिर सहित अन्य मंदिरों में भगवान का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा। मोदक और दूर्वा चढाई जाएगी।
इस अवसर पर मंदिरों की विशेष सजावट की गई है। भगवान के दर्शनों के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है। भिंडों के रास्ता स्थित गणेश मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान के सात दिन तक लड्डू चढ़ाने से विवाह शीघ्र हो जाता है।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर
मोती डूंगरी की तलहटी में स्थापित गणेश प्रतिमा जयपुर नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से 1761 ई. में लाई गई थी। जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख-रेख में मोती डूंगरी की तलहटी में इस मंदिर को बनवाया गया था। मंदिर को लेकर लोगों की मान्यता है कि यदि कोई भी व्यक्ति नया वाहन खरीदता है, तो उसे सबसे पहले मोती डूंगरी गणेश मंदिर में लाने की परंपरा है।
नवरात्रा, रामनवमी, दशहरा, धनतेरस और दीपावली जैसे खास मुहूर्त पर वाहनों की पूजा के लिए यहां लंबी कतारें लग जाती हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि नए वाहन की यहां लाकर पूजा करने से वाहन का एक्सीडेंट नहीं होता। इसके अलावा यहां शादी के समय पहला निमंत्रण-पत्र मंदिर में चढ़ाने की परंपरा है। मान्यता है कि निमंत्रण पर गणेश उनके घर आते हैं और शादी-विवाह के सभी कार्यों को शुभता से पूर्ण करवाते हैं।
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गणेश जी का सिंजारा मनाया
राजधानी के प्रमुख गणेश मंदिरों में गणेश चतुर्थी पहले सोमवार को सिंजारा उत्सव मनाया गया। इसमें भगवान गणेश को मेहंदी अर्पित करते हुए असंख्य लड्डुओं का भोग लगाया गया। मोती डूंगरी गणेश मंदिर में सोजत से मंगाई गई 3500 किलो मेहंदी अर्पित करने के बाद यही मेहंदी श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित की गई।
मान्यता है कि भगवान को धारण कराई गई मेहंदी बहुत शुभ होती है और जो अविवाहित युवक और युवती इस मेहंदी को लगाते हैं, उनकी शादी भी जल्द हो जाती है। ऐसे में इस मेहंदी प्रसाद को लेने के लिए श्रद्धालुओं में होड़ भी देखने को मिली। सिंजारा उत्सव के दौरान भगवान गणेश को हीरे जड़े सोने का मुकुट धारण कराते हुए चांदी के सिंहासन पर विराजमान कराया गया।
नहर के गणेशजी मंदिर में सजाई मोदकों की झांकी
नहर के गणेश मंदिर जयपुर में स्थित एक अनोखा मंदिर माना जाता है। करीब 250 साल पुराना गजानन का ये मंदिर नाहरगढ़ पहाड़ी के तलहटी में बसा हुआ है। नहर के गणेश मंदिर जयपुर में स्थित एक अनोखा मंदिर माना जाता है। करीब 250 साल पुराना गजानन का ये मंदिर नाहरगढ़ पहाड़ी के तलहटी में बसा हुआ है। नहर किनारे होने के कारण मंदिर का नाम ही नहर वाले गणेशजी पड़ गया। यहां पर दाहिनी सूंड वाले दक्षिणमुखी भगवान गणेश विराजे हैं।
श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर
सूरजपोल बाजार स्थित श्वेत सिद्धि विनायक की स्थापना जयपुर के राजा सवाई राम सिंह ने कराया था। भगवान गणेश की पूर्वमुखी प्रतिमा होने के कारण सुबह के समय सर्वप्रथम सूर्य की किरणें भी उदय होते ही सबसे पहले प्रथम पूज्य गणेश बप्पा के चरण स्पर्श करती हैं। मंदिर में स्थापित गणेश जी की मूर्ति सफेद रंग के संगमरमर से बनी है इसलिए इस मंदिर को श्वेत सिद्धिविनायक के नाम से जाना जाता है।
यहां के महंत मोहन लाल शर्मा ने बताया कि भगवान गणेश जी की प्रतिमा में पांच सर्प भी विद्यमान है। जो भी भक्त सात बुधवार भगवान के दर्शन करने आता है। उसकी समस्त मनोकामना पूरी होती है। गणेश चतुर्थी पर मंदिर में भगवान गणेश के निमित्त 1008 लड्डूओं की हवन में आहूति दी जाएगी।
दसों दिशाओं में गणेश मंदिर
राजधानी जयपुर की स्थापना के समय राजाओं ने शहर की रक्षा के लिए दसों दिशाओं में गणपति की स्थापना की गई थी। बाहरी आक्रांताओं से रक्षा और शहरवासियों की सुख समृद्धि के लिए भगवान गणेश की स्थापना की गई थी। इनमें सर्व प्रथम गंगापोल गेट पर भगवान की स्थापना की गई।
इसके बाद कृष्णपोल, रामपोल सांगानेरी गेट, शिवपोल घाटगेट, सूरजपोल और ध्रुवपोल जोरावर सिंह गेट पर भी भगवान गणपति की स्थापना की गई। शहर की सुख समृद्धि के लिए प्रमुख मंदिरों को भी बनवाया गया।
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गढ़ गणेश मंदिर,नाहरगढ़
ब्रह्मपुरी क्षेत्र में नाहरगढ़ की पहाड़ी पर उत्तरी दिशा में राजा सवाई जयसिंह ने सर्वप्रथम गणेश मंदिर की स्थापना की थी। बताया जाता है कि जयपुर निर्माण के समय हुण् अश्वमेघ यज्ञ की भस्मि से भगवान के बाल स्वरूप को बनाया गया था। यहां भगवान गणेश जी की एकमात्र बिना सूंड के प्रतिमा स्थापित है।
सवाई जयसिंह और यज्ञ करवाने वाले पुरोहितों का मानना था कि इससे भगवान श्रीगणेश की निगाह पूरे शहर पर बनी रहेगी। 500 फीट की ऊंचाई पर बने गढ़ गणेश मंदिर तक पहुंचने के लिए हर रोज एक सीढ़ी बनाई गई। इस तरह पूरे 365 दिन तक एक-एक सीढ़ी का निर्माण चलता रहा।
बंगाली बाबा गणेश मंदिर
दिल्ली रोड पुरानी चुंगी स्थित श्री गणेश मंदिर, जयपुर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना गया है। श्री गणेश भगवान की मूर्ति पहाड़ों में ही पाई गई थी। 1950 के लगभग श्री आत्माराम बंगाली बाबा महाराज ने मंदिर में पूजा-अर्चना प्रारंभ की और मंदिर का जीर्णोधार कराया। मंदिर का संचालन बाबा आत्माराम ब्रह्मचारी गणेश मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन यहां विशाल मेला आयोजित किया जाता है।
परकोटे के गणेश जी
चांदपोल गेट के बाहर स्थित परकोटे के गणेश जी मंदिर महंत राहुल शर्मा ने बताया कि करीब 300 साल पुरानी यह मूर्ति आज भी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर रही है। परकोटे के निर्माण के दौरान गणेशजी महाराज यहां ही प्रकट हुए। यह मूर्ति प्राकृतिक और चमत्कारिक मूर्ति हैं, इसे किसी ने स्थापित नहीं किया है। जयपुर के विकास के लिए इनकी पूजा शुरू हुई और धीरे-धीरे गणेशजी की आस्था बढ़ती गई। आज अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि में गणेशजी के भक्त हैं। ये भक्त जब भी जयपुर आते हैं, गणेशजी के दर्शन करने जरूर आते हैं।
मेले के अवसर पर बदलेगी यातायात व्यवस्था
श्री गणेश चतुर्थी मेले को देखते हुए यातायात पुलिस ने जेएलएन मार्ग पर यातायात व्यवस्था में बदलाव किया है। पुलिस के अनुसार बुधवार को मेला समाप्ति तक त्रिमूर्ति सर्किल से जेडीए चौराहा, आरबीआई तिराहा से तख्तेशाही रोड और धर्मसिंह सर्किल से गणेश मंदिर तक आवागमन निषेध रहेगा। इसके अलावा नारायण सिंह सर्किल से यातायात को डायवर्ट किया जाएगा। दिल्ली से आने वाली बसें चंदवाजी से डायवर्ट की जाएं गी। आगरा रोड की ओर से आने वाली बसें जवाहर नगर की ओर डायवर्ट की जाएंगी।
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मेले के दौरान रहेगी विशेष सुरक्षा व्यवस्था
गणेश चतुर्थी पर दर्शन और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष व्यवस्था की गई है। डीसीपी ईस्ट ज्ञानचंद्र यादव ने बताया कि दर्शनार्थियों को भगवान के दर्शन करने में किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए पहले पुलिस कमिश्नर और एडिशनल कमिश्नर की विजिट हुई। उन्हीं के निर्देश पर 8 एडिशनल डीसीपी, 15 एसीपी और करीब 800 पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। इसके अलावा पर्याप्त संख्या में सीसीटीवी कै मरे, बेरिकेडिंग और मेटल डिटेक्टर गेट लगाए गए हैं। इसके अलावा सादा वर्दी में भी पुलिसकर्मी तैनात रहेंगे। ये पुलिसकर्मी तीन शिफ्ट में व्यवस्थाएं संभालेंगे। यहां श्रद्धालुओं के लिए आठ लाइन बनाई गई है, जिसमें आम श्रद्धालु और पासधारक की अलग-अलग लाइन रहेगी।