कभी समुद्र का पानी दूध की तरह सफेद और पीने में मीठा हुआ करता था। लेकिन क्या आपको पता है एक श्राप के चलते अब समुद्र का पानी किसी मनुष्य के पीने योग्य नहीं है। अगर आप नहीं जानते तो आज हमको इसके पीछे की पौराणिक कहानी बताने जा रहे हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि समुद्र का पानी खारा हो गया। पौरणिक कथाओं की मानें तो भगवान शिव को पाने के लिए हिमायल पुत्री पार्वती ने कठोर तपस्सा की थी, उनकी तपस्या के तेज से तीनो लोक भयभीत हो उठे। जब सभी देवता इस समस्या का हल ढूढ़ने लगे थे तब समुद्र देवता ने माता पार्वती के स्वरूप से मोहित होकर उनसे विवाह करने की इच्छा प्रकट की।
यह खबर भी पढ़ें:-Kalashtami 2023: कालाष्टमी आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और नियम
समुद्र देव ने महादेव को कहा था भला बुरा
जब माता पार्वती की तपस्या पूरी हुई तब समुद्र देव ने देवी उमा से विवाह करने की इच्छा जाहिर की। उमा ने समुद्र देव की भावनाओं का ध्यान रखते हुए सम्मानपूर्वक कहा कि मैं पहले से ही भगवान शिव से प्रेम करती हूं। यह सुनकर समुद्र देव क्रोधित हो गए और भोलेनाथ को भला बुरा कहने लगे। उन्होंने भगवान शंकर का तिरस्कार करते हुए कहा कि उस भस्मधारी आदिवासी में ऐसा क्या है जो मुझमें नहीं है, मैं सभी मनुष्यों की प्यास बुझाता हूं ओर मेरा चरित्र दूध की तरह सफेद है। हे उमा, मुझसे विवाह के लिए हामी भर दो और समुद्र की रानी बन जाओ।
माता पार्वती ने दिया था समुद्र देव को श्राप
जब समुद्र देव ने महादेव का अपमान किया तो माता पार्वती भोलेनाथ का अपमान सहन नहीं कर पाई। इसके बाद माता पार्वती को समुद्र देव पर बहुत गुस्सा आया और उन्होंने गुस्सा होकर समुद्र देव को श्राप दे दिया कि जिस मीठे जल पर तुम्हें इतना अभिमान और घमंड है। वह जल खारा हो जाएगा और तुम्हारे समुद्र का पानी कोई भी मनुष्य ग्रहण नहीं करेगा। माता पार्वती के श्राप देने के बाद ही समुद्र का पानी खारा हो गया था और मनुष्य के पीने लाइक नहीं रहा।
यह खबर भी पढ़ें:-दिसंबर में महीने में चमकेगी इन 6 राशि वाले लोगों की किस्मत, कॅरियर और बिजनेस में मिलेगी अपार सफलता!