Ayodhya Ram Mandir: करीब 500 साल की लड़ाई के बाद 22 जनवरी को रामलला की अयोध्या में घर वापसी हो रही है। इस समय पूरा देश राममय हो रहा है। भारत के लोग कलयुग के वो साक्षी बनने जा रहे हैं जो एक बार फिर प्रभु राम के आगमन पर दीप जलाएंगे, ठीक उसी तरह जैसे त्रेतायुग के 14 वर्ष के वनवास से प्रभु श्री राम के लौटने पर अयोध्या में वासियों ने जलाए थे। अरोध्या नगरी का सनातन प्रेमियों के लिए खास महत्व है जो हर किसी को जोड़े हुए है। श्रीराम जन्मभूमि में रामलला का भव्य मंदिर बना है जो पूरी दुनिया में चर्चा में है। राम मंदिर के साथ रामलला के पटवारी बने चंपत राय (Champat Rai) भी सुर्खियों में हैं।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में चंपत राय का अहम रोल
अरोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जिम्मेदारी संभाल रहे चंपत राय (Champat Rai) समय-समय पर मीडिया से यह जानकारी साझा का रहे हैं कि इसमें कितने लोग शामिल होंगे, कार्यक्रम की अवधि क्या होगी और जनमानस के लिए रामलला के दर्शन कब होंगे। चंपत राय के कंधों पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी अहम जिम्मेदारी है। लेकिन चपंत राय आखिर कौन हैं और राम मंदिर में उनकी क्या भूमिका है? आइए जानते हैं-
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कौन हैं चंपत राय
चंपत राय का जन्म 18 नवंबर, 1946 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की नगीना तहसील में रामेश्वर प्रसाद बंसल और सावित्री देवी के घर पर हुआ। यह 10 भाई बहनों में दूसरे नंबर पर हैं। बहुत छोटी उम्र में ही ये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) से जुड़ गए और संघ के विचारों का खूब प्रचार-प्रसार किया। उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद ये धामपुर के आश्रम में डिग्री कॉलेज से केमिस्ट्री के प्रोफेसर बन गए और नौकरी करने लगे।
1991 में अयोध्या आएं चंपत राय (Champat Rai)
चंपत राय क्षेत्रीय संगठन मंत्री के तौर पर साल 1991 में अयोध्या आए। 1996 में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के केंद्रीय मंत्री बन गए और साल 2002 में संयुक्त महामंत्री और इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महामंत्री बने। इस समय चंपत रॉय विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
चंपत राय को क्यों कहते हैं रामलाल का पटवारी
चंपत राय ने शादी नहीं की और अपने घर भी कम ही जाते हैं। रामलला के मंदिर निर्माण से लेकर सामाजिक आंदोलन के साथ-साथ कानूनी लड़ाई में भी चंपत राय ने अहम भूमिका निभाई है। चंपत राय ने रामजन्मभूमि से जुड़ी तमाम फाइलों व साक्ष्यों को अपने कक्ष में रखा था और प्रतिदिन वकीलों को कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए नए-नए साक्ष्य उपलब्ध करवाते थे। वकीलों के साथ कोर्ट जाने, सुनवाई के दौरान धैर्य बनाए रखने की जिम्मेदारी चंपत राय ने बखूबी निभाई, जोकि साधारण बात नहीं है। रामजन्मभूमि अयोध्या में रामलला के मंदिर निर्माण के लिए चंपत राय की अहम भूमिका को देखते हुए लोग चंपत राय के रामलला का पटवारी करते हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम भी चंपत की निगरानी में हो रहे हैं।
चंपत राय को मिली ये अहम जिम्मेदारी
-साल 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला आया तो श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने चंपत राय को मंदिर निर्माण से जुड़ी अहम जिम्मेदारी सौंपी।
-साल 2020 में चंपत राय को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का महासचिव बनाया गया। यह जिम्मेदारी चंपत राय के लिए बहुत अहम थी, जिसे वो अच्छी तरह से निभा रहे हैं।
-फिलहाल चंपत राय रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से जुड़ी जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं।
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क्यों छोड़ी सरकारी नौकरी?
साल 1975 में जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की, जब चंपत राय कॉलेज में प्रवक्ता थे। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पहुंची। कहा जाता है कि आपातकाल के दौरान चंपत राय को राम जन्मभूमि आंदोलन को लेकर गिफ्तार किया गया था। वे 18 महीने तक उत्तर प्रदेश की जेल में रहे थे। इस दौरान उन्हें अलग-अलग जिलों में ट्रांसफर किया गया। हालांकि, जेल में रहने के दौरान उनका संकल्प और दृढ़ हुआ और वो एक अलग ही व्यक्ति के रूप में सामने आए। आपातकाल खत्म होने के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। लेकिन जेल से बाहर आने के बाद वो वापस कभी घर लौटकर नहीं गए। जेल से बाहर होने के बाद उन्होंने नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया और आरएसएस का हिस्सा बन गए।