Political Analysis: नई दिल्ली- गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Aazad) के बाद कांग्रेस के और कौन बड़े नेता पार्टी छोड़ेंगे, इसको लेकर कयासों का बाजार गर्म है। नाम तो कई हैं, लेकिन सबसे बड़ा नाम हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का चर्चा में है। उसकी दो बड़ी वजह बताई जा रही हैं। एक तो हुड्डा ने ही आजाद और आनंद शर्मा के अपने पदों से इस्तीफा देने के बाद सबसे पहले आलाकमान को सचेत किया था। दूसरी बड़ी वजह इस्तीफे से दो दिन पहले आजाद और भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक पांच सितारा होटल में साथ दिखाई दिए थे।
यही नहीं, देखने वालों का तो यहां तक कहना है कि दोनों नेता जब चर्चा कर रहे थे, तो उसी दौरान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कुछ देर वहां पर रहे। फिर चले गए। इससे इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि आजाद ने पूरी तैयारी के साथ ऐसे समय पर इस्तीफा दिया, जब पूरा गांधी परिवार विदेश में था और पार्टी नए अध्यक्ष की खोज में जूझ रही थी। इस्तीफे से पार्टी सकते में आ गई। राहुल पर जिस तरह से हमले किए गए, उसके पीछे भी सोची समझी रणनीति दिखाई देती है, क्योंकि आजाद ने राहुल को पूरी तरह से टारगेट कर कांग्रेस की सबसे कमजोर नस को दबाया है।
यही वजह रही कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सबसे पहले अपने नेता के बचाव में आए और आजाद पर जमकर हमला बोला और उसके बाद पूरी कांग्रेस के निशाने पर आजाद आ गए। अब सवाल यही उठ रहे हैं कि आजाद को अगर पार्टी छोड़नी थी तो चुपचाप इस्तीफा दे सकते थे। क्योंकि पार्टी ने उन्हे केंद्रीय मंत्री से लेकर कई पदों से नवाजा था। पांच दशक से वह कांग्रेस की राजनीति कर रहे थे।
अगर राहुल गांधी की कार्यप्रणाली से नाराज थे तो उन्होंने पार्टी से अलग होने में इतना समय क्यों लिया? इससे उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आई है। हालांकि जब राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने पर प्रधानमंत्री ने उनको जमकर सराहा था, उसके बाद कयास लगे थे कि आजाद क्या बीजेपी के संपर्क में हैं? लेकिन उन्होंने हमेशा यही कहा कि वे न बीजेपी के संपर्क में हैं और ना ही बीजेपी में जा रहे हैं।
कदम वही उठाया जो बीजेपी काे भाया
राहुल पर हमले के बाद भी आजाद यही कह रहे हैं बीजेपी में नही जाएंगे, लेकिन उन्होंने जम्मू कश्मीर में नई पार्टी के गठन की बात कर एक तरह से बीजेपी की मर्जी की बात कर दी। जानकार मान रहे हैं, आजाद की पार्टी बनती है और चुनाव लड़ती है तो सीधा लाभ बीजेपी को मिलेगा। वोट कटेंगे। ऐसे संकेत हैं कि आने वाले दिनों में और नाराज कांग्रेसी पार्टी छोड़ेंगे और एक नई कांग्रेस नाम की पार्टी का भी गठन कर सकते हैं, जिससे कांग्रेस और कमजोर हो जाए। हुड्डा और आंनद शर्मा, पृथ्वीराज चाव्हाण, मनीष तिवारी जैसे नेता असंतुष्ट माने जाते हैं।
दिल्ली के होटल ताज मानसिंह में हुई मुलाकात, लिखी गई इस्तीफे की स्क्रिप्ट!
हुड्डा हरियाणा राज्यसभा चुनाव में पार्टी की हार से आहत हैं, क्योंकि पार्टी ने जिम्मेदार माने जा रहे प्रभारी विवेक बंसल और किरण चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। वे कश्मीर समिति से इस्तीफे के बाद से लगातार आजाद के संपर्क में थे। जैसा सूत्रों का कहना है, दिल्ली के पांच सितारा होटल ताज मानसिंह जहां पर नेता गुपचुप चर्चा के लिए आते हैं, वहां पर इनकी मीटिंग हुई, जिसमें 5 पेज के इस्तीफे की भूमिका बनी।
कांग्रेस से बीजेपी में गए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया 23 अगस्त को अपने विभाग के कार्यक्रम में ताज मानसिंह में आते हैं। कुछ ही देर बाद वहां भूपेन्द्र हुड्डा पहुंचते हैं, हुड्डा और सिंधिया में कुछ गुफ़्तगू होती है फिर वहां गुलाम नबी भी आते हैं। तीनों के बीच चर्चा होती है फिर ज्योतिरादित्य वहां से निकल जाते हैं। गुलाम नबी और हुड्डा में कुछ देर लॉबी में वॉक करते हुए एक दूसरे के साथ घूमते हुए गुफ्तगू करते हैं और इस वाकिए के दो दिन बाद गुलाम नबी आजाद कांग्रेस से इस्तीफा दे देते हैं। इससे माना जा रहा है कांग्रेस के खिलाफ मिलजुल कर बड़ी रणनीति की शुरुआत हो गई। आने वाले दिनों में और धमाके हो सकते हैं।
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