Rajasthan Assembly Election 2023: अजमेर को धार्मिक समन्वय की नगरी के रूप में देशभर में जाना जाता है। प्रदेश की राजनीति में भी यह जिला अहम स्थान रखता है। जिले की आठ सीटों में से पांच पर भाजपा विधायक हैं, दो पर कांग्रेस के विधायक हैं और एक सीट निर्दलीय के पास है। यानि जिले में बीजेपी का खाासा प्रभाव है। बात करें अजमेर शहर की तो उत्तर व दक्षिण दोनों विधानसभा सीटों पर पिछले 20 साल से भाजपा विधायक हैं। यहां अनिता भदेल और वासुदेव देवनानी विधायक हैं। इस बार भी इन दोनों का टिकट लगभग फाइनल माना जा रहा है।
दूसरी ओर कांग्रेस शहर की दोनों सीटों पर कब्जा जमाने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटी है। जिले की अन्य सीटों की बात करें तो कांग्रेस की सीट मानी जाने वाले नसीराबाद में भी अब भाजपा का कब्जा है और दिवंगत नेता सांवर लाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा यहां से विधायक हैं। यह सीट वैसे कांग्रेस की ही मानी जाती है, लेकिन पारिवारिक फूट का भाजपा ने फायदा उठाया और इस अभेद्य किले पर अपना परचम फहरा दिया।
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ब्यावर विधानसभा सीट में भी जातीय समीकरण भाजपा के पक्ष में हैं, इसके चलते पिछले 20 सालों से यहां भाजपा काबिज है। यहां अभी भाजपा के रामस्वरूप लांबा विधायक हैं। वहीं कांग्रेस ने चेहरे भी बदल दिए लेकिन इस सीट पर पार पाने में कामयाब नहीं हो पाई। केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में राज्य सरकार की तर्ज पर एक बार भाजपा एक बार कांग्रेस की परिपाटी चली आ रही है। इस बार पूर्व चिकित्सा मंत्री और विधायक डॉ. रघु शर्मा का दावा है कि जितने विकास के काम केकड़ी में हुए हैं और जिला बनाया है, ऐसे में इस बार कांग्रेस की जीत होने जा रही है।
पुष्कर में मुकाबला कड़ा
बात यदि पुष्कर विधानसभा सीट की करें तो यहां पिछले दस साल से भाजपा के सुरेश सिंह रावत विधायक हैं और इस बार भी उनका दावा है कि टिकट लाकर जनता के आशीर्वाद से जीत दर्ज करवाएं गे। लेकिन हाल ही कथित रूप से करोड़ों रुपए की रिश्वत मांगने के प्रकरण के चलते उनकी राह मुश्किल हुई है।
पुष्कर सीट से विधायक रहीं कांग्रेस की नसीम अख्तर इंसाफ शिक्षा राज्य मंत्री रही हैं। किशनगढ़ विधानसभा सीट पर इस बार भी मुकाबला खासा रोमांचक रहने वाला है। इस बार सुरेश टांक भारी मतों से जीतकर निर्दलीय विधायक बने। इस बार भी माना जा रहा है कि टांक निर्दलीय ही ताल ठोक सकते हैं और दोनों पार्टियों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते हैं।
जिले में दिग्गजों की भरमार
अजमेर के बड़े राजनेताओं की अगर बात की जाए तो देश की राजनीति में अग्रिम पंक्ति में नजर आने वाले कें द्रीय राज्य मंत्री भूपेन्द्र यादव, अजमेर से सांसद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे सचिन पायलट, पूर्वशिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी, पूर्व महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनीता भदेल, भाजपा से राज्यसभा सांसद और धरोहर एवं प्रोन्नति प्राधिकरण बोर्ड के चेयरमैन रहे ओंकार सिंह लखावत, पूर्व चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, पूर्वशिक्षा राज्य मंत्री नसीम अख्तर इंसाफ सहित अन्य बड़े चेहरे हैं।
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मसूदा में स्थानीय की मांग
मसूदा विधानसभा सीट से इस बार वर्तमान विधायक राकेश पारीक का खासा विरोध देखने को मिल रहा है और यहां पर स्थानीय उम्मीदवार का नारा बुलंद किया जा रहा है। यहां वर्ष 2013 की बात करें तो कई दिग्गज चुनावी मैदान में थे और भाजपा की सुशील कंवर पलाड़ा ने बाजी मारी और विधानसभा पहुंची लेकिन वर्ष 2018 के चुनाव में राकेश पारीक ने पलाड़ा को हराया और विधायक चुने गए। इस बार भाजपा और कांग्रेस किसी स्थानीय को चुनावी मैदान में उतारने को लेकर लगातार मंथन कर रहे हैं।
बीसलपुर का पानी बड़ा मुद्दा
अजमेर में अगर मुद्दों की बात की जाए तो इन चुनावों में सबसे अहम मुद्दा पानी, बिजली का रहने वाला है। जिस अजमेर के लिए बीसलपुर पेयजल परियोजना बनाई गई उसका हलक ही सूखा है। यहां 72 से 108 घंटे में पानी की सप्लाई हो रही है और उसमें भी अनियमितता है।
वहीं अघोषित बिजली कटौती और आए दिन बढ़ने वाले दाम से भी लोग खासे परेशान हैं, इसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है। वहीं राजस्थान लोक सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड भी अजमेर में ही हैं, इनके पेपर लीक व अव्यवस्थाओं का मुद्दा लेकर भी भाजपा वोटर्स के बीच जाएगी।
- अजमेर से नवीन वैष्णव की रिपोर्ट