जयपुर। राजस्थान के सीकर जिले की विश्व प्रसिद्ध धार्मिक नगरी खाटूश्यामजी के मुख्य बाजार में स्थित प्राचीन शिव मंदिर विक्रम संवत 600 में बना हुआ बताया जाता है. वहीं इस मंदिर का इतिहास भी बड़ा रोचक और निराला है. जानकारों की मानें तो मुगलकाल के समय जब औरंगजेब मंदिरों पर आक्रमण कर उन्हें ध्वस्त कर सोने व चांदी को लूटता हुआ खाटूधाम आया. जब उस समय खाटूश्यामजी खटवांग नगरी कहलाता था और अपने सेनापति मूर्तजा खां को इस प्राचीन शिव मंदिर को ध्वस्त करने के लिए भेजा था.
भाले से प्रहार किया तो बही खुन की धारा
मंदिर पुजारी के विरोध करने के बावजूद भी मूर्तजा खां ने अपने भाले से शिवलिंग पर प्रहार किया तो उसमें से खून की धारा प्रवाहित हुई. इससे मूर्तजा खां घबरा गया और ओरंगजेब को घटना से वाकिफ करवाया. जिसकी जानकारी पर औरंगजेब खुद खटवांग गांव आया. बताया जाता है कि जब औरंगजेब स्वयं भी मंदिर तोडऩे के लिए गया तो उसके पैर पहली सीढ़ी पर ही रूक गए और वह बूत की तरह खड़ा रह गया. जब वह पूरी कोशिश करने के बावजूद भी वहां से हिल नहीं पाया तब मंदिर पुजारी ने औरंगजेब को भगवान शंकर से माफी मांगने को कहा. दो दिन तक वहीं खड़े रहने के बाद आखिरकार औरंगजेब ने क्षमा याचना कर मंदिरों को नहीं तोडने का प्रण किया. इसके बाद वह खटवांग नगरी से अपनी सेना लेकर लौट गया.
प्राचीन शिव मंदिर को भव्य बनाया
कस्बे में सौलह सौ साल पूर्व में बने प्राचीन शिव मंदिर की कायापलट कर उसे भव्य स्वरूप मिल गया है. मंदिर छोटा होने के कारण भक्तों को दर्शन में भारी समस्या होने लगी थी. इस समस्या के समाधान के लिए एक श्याम भक्त ने मंदिर को बड़ा बनाने के लिए बीड़ा उठाया और तकरीबन 60 लाख रूपए की लागत से इसे भव्य स्वरूप दिया. श्याम बाबा के दर्शन करने आने वाले भक्त प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन भी करते है. जहां शिवरात्री पर भक्तों का तांता लगा रहता है.