Rajasghan News: राजस्थान में एक आईपीएस अफसर ने भगवान और धर्म को लेकर बयान देकर बवाल खड़ा कर दिया है। आईपीएस किशन सहाय, जो कि राजस्थान पुलिस मुख्यालय में महानिरीक्षक के पद पर तैनात हैं, ने फेसबुक पर कई पोस्ट लिखकर धार्मिक विश्वासों पर सवाल उठाए हैं।
सहाय ने अपने पोस्ट में लिखा है कि ‘धार्मिक अंधविश्वास’ जैसे भगवान, अल्लाह, गॉड, वाहेगुरु, फरिश्ते, देवी-देवता, स्वर्ग-नरक, जन्नत-जहन्नुम आदि का सिर्फ एक प्रकार से नहीं बल्कि, बहुत प्रकार से खंडन किया जा सकता है, क्योंकि ये हैं ही नहीं। उनके मुताबिक, ‘ये सिर्फ कल्पना मात्र और मनगढ़ंत हैं।’
उन्होंने आगे लिखा कि अगर भगवान, अल्लाह या वाहेगुरु होते तो भारत को अंग्रेजों, मुगलों, तुर्कों और अरबों का गुलाम नहीं होना पड़ता। उनके मुताबिक, उनकी जीत अल्लाह और गॉड की वजह से नहीं, बल्कि हथियारों, संगठन शक्ति और रणनीति की वजह से हुई। सहाय ने लिखा कि भारत में लोग जातिप्रथा में बंटे थे और आदिम हथियारों से लड़ते थे।
आईपीएस किशन सहाय ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा- ‘अगर भगवान/ईश्वर होता तो भारत को अरबों, तुर्कों, मुगलों आदि का गुलाम होने से बचा लेता, लेकिन हमनें इसलिए गुलामी झेली क्योंकि भगवान ने हमारी रक्षा नहीं की। अगर भगवान,अल्लाह,वाहेगुरु होता तो हम भारतीयों को अंग्रेजों का गुलाम नहीं बनने देता। या तो हम मानें कि भगवान/ईश्वर पर अल्लाह भारी पड़ गया, इसलिए अरबों, तुर्कों, मुगलों ने हमें गुलाम रखा था।
भगवान/अल्लाह/वाहेगुरु पर गॉड भारी पड़ गया था, इसलिए अंग्रेजों के गुलाम हो गए थे। अगर ऐसा नहीं मानते हो तो भारत की हजारों साल की गुलामी भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु का खंडन करती है। जब भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु नहीं हैं तो गॉड भी नहीं हो सकता। अरबों, तुर्कों, मुगलों, अंग्रेजों की जीत हथियारों,संगठन शक्ति व रणनीति की वजह से हुई थी साथ ही साथ यहां के लोग द्वेषपूर्ण जातिप्रथा में बंटे हुए थे, आदिम हथियारों से ही लड़ते थे, उनकी विजय अल्लाह/गॉड की वजह से नहीं हुई क्योंकि भगवान/अल्लाह/गॉड/वाहेगुरु सिर्फ कल्पना मात्र व मनगढ़ंत हैं। हकीकत में इनका न अस्तित्व है, न इनका कोई प्रभाव है।’
यह पहली बार नहीं है जब सहाय ने ऐसे बयान दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनवरी 2023 में भी उन्होंने कहा था कि वह बचपन से ही किसी धर्म को नहीं मानते और भगवान में विश्वास नहीं रखते। उन्होंने कहा था कि दुनिया में जो कुछ भी है, वो विज्ञान की देन है, भगवान की नहीं। सहाय ने यह भी दावा किया कि उन्होंने गीता से लेकर कुरान और बाइबिल तक, सभी धार्मिक ग्रंथ पढ़े हैं। उन्हें बस एक ही बात समझ आई कि विज्ञान के रास्ते पर चलकर ही इंसान तरक्की कर सकता है.।