जयपुर। प्रदेश के 35 हजार से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में फ्री एडमिशन के लिए अब स्टूडेंट्स 10 मई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। शिक्षा विभाग ने बुधवार को प्रस्तावित राइट टू एजुकेशन (RTE) की लॉटरी को निरस्त कर आवेदन की प्रक्रिया को 10 दिन और बढ़ा दिया है। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों के 10 मई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। आवेदन के बाद 13 मई को राइट टू एजुकेशन सत्र 2024-25 की ऑनलाइन लॉटरी निकाली जाएगी। इसके आधार पर स्टूडेंट्स को एडमिशन दिया जाएगा।
बता दें कि अब तक RTE के तहत प्रदेश के 31 हजार 112 स्कूलों में फ्री एडमिशन के लिए 8 लाख से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। मालूम हो कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने RTE में आवेदन की आयु गणना 31 जुलाई 2024 तय की थी, जबकि पिछले सत्र में आयुनिर्धारण की तारीख 31 मार्च 2023 थी। इसके चलते 1 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच जन्म लेने वाले स्टूडेंट्स आवेदन नहीं कर पा रहे थे। इस बात को ध्यान में रखकर सरकार ने 10 दिन आवेदन की प्रक्रिया आगे बढ़ने का फैसला किया है।
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अब यह रहेगा शे्डयूल
10 मई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।
13 मई को शिक्षा विभाग की ओर से प्राप्त आवेदनों की ऑनलाइन लॉटरी निकाली जाएगी।
लॉटरी निकलने के बाद से 20 मई तक आवेदकों (अभिभावकों) को ऑनलाइन ही रिपोर्टिंग करनी होगी।
15 मई तक स्कूलों में ऑनलाइन आवेदन की जांच की जाएगी।
21 मई तक पेरेंट्स को डॉक्युमेंट करेक्शन का वक्त दिया जाएगा।
1 जून के बाद प्रदेशभर के प्राइवेट स्कूलों में राइट टू एजकेुशन एडमिशन प्रक्रिया के तहत सिलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स
की पहली लिस्ट जारी।
25 जुलाई से 16 अगस्त के बीच राइट टू एजुकेशन एडमिशन प्रक्रिया के तहत सिलेक्ट होने वाले स्टूडेंट्स की दूसरी लिस्ट जारी होगी।
पहली और दूसरी लिस्ट जारी होने के बाद भी शेष रही सीटों के लिए 17 अगस्त से 31 अगस्त के बीच तीसरी और आखिरी लिस्ट जारी की जाएगी।
वार्ड-गांव का बच्चा उसे प्राथमिकता
RTE कानून के तहत प्राइवेट स्कूलों को अपने यहां एं ट्री लेवल की कक्षा में कुल संख्या में से 25 फीसदी सीटों पर फ्री प्रवेश देना होगा। बाकी 75 प्रतिशत सीटों पर वे फीस लेकर प्रवेश दे सकते हैं। 25 फीसदी सीटों पर फ्री प्रवेश का भुगतान राज्य सरकार देती है। बच्चा जिस वार्ड या गांव का है, उसे अपने क्षेत्र के निजी स्कूल में पहले प्राथमिकता दी जाती है।
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ऑटो रिपोर्टिंग सिस्टम लागू
लॉटरी के बाद अभिभावकों को 5 निजी स्कूलों में से किसी एक स्कूल में ऑनलाइन रिपोर्टिंग करनी होती है, लेकिन अभिभावक ऐसा करना भूल जाते हैं। इससे बचने के लिए विभाग ने इस बार ऑटो रिपोर्टिंग का सिस्टम लागू किया है।