(कनिका कटियार) नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी इन दिनों केरल के दौरे पर है जहां वह मलप्पुरम में घुटने के दर्द का इलाज करवाया है. जानकारी के मुताबिक राहुल ने 100 साल पुराने आयुर्वेदिक संस्थान कोट्टक्कल आर्य वैद्य शाला में डॉक्टरों की एक टीम से ट्रीटमेंट लिया जहां वैद्यशाला के पी. मदनवनकुट्टी वेरियर और के. मुरलीधरन के साथ डॉक्टरों की एक पूरी टीम ने उनका इलाज किया. वहीं राहुल गांधी का केरला में ट्रीटमेंट लगभग पूरा हो चुका है जिसके बाद देर शाम वह दिल्ली वापस लौटेंगे. दरअसल राहुल गांधी के बचपन में घुटने पर चोट लगी थी जिसका जिक्र उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कई बार किया था.
वहीं यात्रा के दौरान राहुल ने उस दर्द के बारे में भी कई बार मंचों से बताया था. इधर केरल पहुंचने पर राहुल पहले पूर्व CM ओमान चांडी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और इसके बाद वह कोटक्कल पहुंचे जहां इलाज पर जाने से पहले राहुल ने कोट्टक्कल में बने श्री विश्वंभरा मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
इधर कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) और कांग्रेस कमेटी के गठन के अलावा बैठकों का दौर एक बार के लिए थम गया है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष मलिक्कार्जुन खरगे और कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी से सलाह मशविरा किए बिना कोई फ़ैसला लिया जाए.
100 साल पुराना है संस्थान
बता दें कि केरल के मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल में पीएस वारियर ने 1902 में इस संस्थान की शुरूआत की थी जहां इस संस्थान में दुनिया भर से लोग आयुर्वेदिक इलाज करवाने आते हैं. वहीं इस संस्थान की कोट्टक्कल, कांजीकोड और नंजनगुड में आर्य वैद्य शाला बनाई है और कई जगह मेडिसिन बनाने की यूनिटें भी लगी हैं. वर्तमान में संस्थान की ओर से 550 से ज्यादा आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती है.
कैसे लगी थी राहुल के पैर में चोट
दरअसल राहुल गांधी बचपन से ही फुटबॉल गेम के शौक़ीन रहे हैं और वह स्कूल और कॉलेज दिनों के दौरान फुटबॉल ज़्यादा खेला करते थे इसी बीच कॉलेज के दौरान फुटबॉल खेलते समय उनके घुटने में चोट लग गई थी जिसके बाद विदेश में उस चोट का राहुल गांधी ने इलाज भी करवाया लेकिन कुछ दिनों बाद फिर उन्हें तकलीफ हो जाती थी.
वहीं भारत जोड़ो यात्रा के शुरुआती दिनों में कई बार राहुल ने अपने घुटने के दर्द का ज़िक्र किया था और राहुल ने यात्रा के दौरान एक छोटी बच्ची से मुलाकात की थी जहां मिले एक लैटर में लिखा था की वह बच्ची भी उनके साथ चलना चाहती हैं. इसके बाद राहुल ने कहा कि ऐसी ही बातों से उन्हें यात्रा में चलने की प्रेरणा मिली और पूरी करने की हिम्मत मिली.