जयपुर। राजस्थान के सीकर जिले से कुछ ही दूर पर स्थित रैवासा धाम के जानकीनाथ मंदिर में आज संतों का मेला लगा हुआ है कुछ दिवस पहले रैवासा धाम के अग्रपीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य महाराज का देवलोक गमन हो गया था इसके बाद लगातार यहां देश के प्रख्यात संतो के आने का सिलसिला जारी है सभी संत राघवाचार्य महाराज की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दे रहे हैं. आज उनके उत्तराधिकारी स्वामी राजेंद्र दास महाराज की चादरपोशी कार्यक्रम है जहां हजारों संत मौजूद हैं.
सीएम भजनलाल भी आऐंगे रैवासा
रैवासा धाम में आज हो रहे कार्यक्रम में राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा के आने का कार्यक्रम है. सीएम दोपहर 1:20 बजे हवाई यात्रा से तारपुरा हवाई पट्टी पर आऐंगे उसके बाद कार द्वारा 2 बजे रैवासा पंहुचेंगे वहां दिवगंत राघवाचार्य महाराज को श्रद्धांजलि देंगे और स्वामी राजेंद्रदास महाराज कि चादरपौशि के कार्यक्रम में शामिल होंगे. इसके बाद सीएम 3:10 बजे तारपुरा हवाई पट्टी से विशेष विमान से दिल्ली के लिए रवाना होंगे.
चादरपोशी सहित अनेक कार्यक्रम होंगे
महाराज राजेंद्र दास जी की चादरपोशी के साथ अनेक कार्यक्रम आयोजित होंगे. देश भर से आए अनेक संतों द्वारा महाराज को चादरपोशी की जाएगी. वहीं मंदिर प्रांगण में विशाल भंडारा का भी आयोजन चल रहा है जिसमें आसपास के ग्रामीण प्रसाद पा रहे है.
इस प्रकार पट्टाभिषेक किया जाएगा
देश के प्रख्यात संत दिवंगत रेवासा पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज की 17 वीं तिथि पर श्री रामानंद संप्रदाय की उत्तर भारत की सबसे बड़ी पीठ रेवासाधाम में 18 वें पीठाधीश्वर का पट्टाभिषेक पूजन रविवार प्रातः 11.15 बजे अमृत चौघड़िया में शुरू हुआ. इस दिन भाद्र शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का यह दिन कलिका द्वादशी व भुवनेश्वरी द्वादशी भी है. पूजन कार्य में पंडित सुरेश व्यास, पंडित लक्ष्मीकांत शास्त्री, पंडित आदित्य शर्मा, पंडित उमाशंकर शर्मा, पंडित राम शर्मा सहित अनेक विद्वान पंडित पूजन संपन्न करवाएंगें. पट्टाभिषेक पूजन से पहले संत राजेंद्र दास का उनकी जन्म कुंडली के अनुसार विशेष पूजन भी किया. पूजन के बाद जगतगुरु आचार्य, द्वाराचार्य सहित रामानन्द सप्रदार्य के संत सर्व प्रथम चादर ओढ़ाकर संत राजेंद्रदास महाराज को गद्दी पर विराजमान करवाएंगे. गद्दी आरोहण के बाद अन्य संत व अतिथि राजेंद्रदास महाराज को चादर ओढ़ाकर शुभकामनाएं देंगे. नए पीठाधीश्वर राजेंद्र महाराज वरिष्ठ संतो को पट्टीका ओढ़ाकर वस्त्र व रजत निर्मित स्मृति चिन्ह देकर विदाई देंगे. इस अवसर पर सभी संत उनके लिए बनाए गए विशेष डोम में प्रसाद पाएंगे. श्री जानकीनाथ बड़ा मंदिर ट्रस्ट उपाध्यक्ष आशीष तिवाड़ी ने बताया कि चादरपोशी की रस्म के दौरान देश भर के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पंहुचे है. श्रद्धालुओं के लिए एक अन्य डोम में भंडारा-प्रसाद का चल रहा है. दांतारामगढ़ डिप्टी जाकिर अख्तर ने बताया कि सुरक्षा के लिए भारी संख्या में जवान तैनात किए गए है और भीड़ व ट्राफिक को देखते हुए पार्किंग की भी समुचित व्यवस्था की गई है.
अनेक लोगों ने यहां से शिक्षा पाकर बनाई पीठ
श्री रामानंद संप्रदाय का देश की धार्मिक विरासत में उजाला अध्याय है रेवासा धाम का धार्मिक ऐतिहासिक महत्व विशिष्ट है. लोहार्गल मंडल के संत माधव दास ने बताया कि इसमें 10 जगतगुरु आचार्य पीठ और 52 द्वाराचार्य पीठों में से 36 द्वाराचार्य पीठ इस सप्रदाय में शामिल है। रेवासा उत्तर भारत की श्री रामानंद संप्रदाय की सबसे बड़ी पीठ है. यहां पर प्रसिद्ध ग्रंथ भक्तमाल की रचना नाभाचार्य महाराज ने की थी। अग्रदेवाचार्य महाराज ने यहां मधुरोउपासना ग्रंथ की रचना की थी. श्री रामानंद संप्रदाय के 36 में से 12 द्वाराचार्यों ने यहां से साधना कर देशभर में पहुंच पीठ की स्थापना की. ब्रह्मलीन संत राघवाचार्य महाराज ने गोवंश संवर्धन, सामाजिक सरोकारों व देशभक्ति के साथ जोड़कर इसे और प्रभावशाली बना दिया.