एम्स जोधपुर को सौ करोड़ के नोटिस के बाद सोशल मीडिया पर चर्चा का बना विषय

सेंट्रल जीएसटी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर को 100 करोड़ रुपए की जीएसटी जमा नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है…

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सेंट्रल जीएसटी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर को 100 करोड़ रुपए की जीएसटी जमा नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है

जोधपुर।जोधपुर एम्स इन दिनों सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। वजह उसे मिला एक नोटिस है जिसमें जीएसटी ने सौ – करोड़ का नोटिस जारी किया है। हालांकि देश भर के एम्स को इस तरह के नोटिस दिये गये हैं। जोधपुर एम्स में भी उसमें से एक हैं। बताया गया है कि केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग (सेंट्रल जीएसटी) ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर को 100 करोड़ रुपए की जीएसटी जमा नहीं कराने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सेंट्रल जीएसटी ने एम्स देहरादून – के एक मामले को लेकर देश भर के सभी 20 एम्स को जीएसटी जमा नहीं कराने पर नोटिस भेजे हैं। सभी की राशि अलग- अलग है। एम्स प्रशासन इस मामले में कर एवं वित्तीय सलाहकारों से राय – मशविरा कर रहा है। अगर एम्स प्रशासन नोटिस को जवाब नहीं देता है तो उसे जीएसटी भरना पड़ सकता है। यही खबर इन दिनो सोशल मीडिया पर छाई हुई है।उल्लेखनीय है कि एम्स जोधपुर का निर्माण कार्य केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण (सीपीडब्ल्यूडी) विभाग ने करवाया है। चूंकि सीपीडब्ल्यूडी सरकारीविभाग है और सरकार कभी भी टैक्स नहीं देती है, लेकिन एम्स अपने आपको स्वायत्तशासी संस्थान मानता है। ऐसे में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत यह नोटिस जारी हुआ है। इसके तहत निर्माण कार्य में जितना पैसा लगा है, उस पर जीएसटी बनता है तो सरकार को जमा कराना चाहिए था।

स्वास्थ्य सेवाओं पर जीएसटी जीरो
देश में स्वास्थ्य सेवाएं जीएसटी मुक्त है। एम्स की ओर से डॉक्टरी चैकअप, ऑपरेशन, क्लिनिकल जांचें वगैरह जो भी सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही है, एसटी वह उस पर मरीज से जीएसटी नहीं लेता है। ऐसे में एम्स अगर निर्माण कार्यों पर जीएसटी भरता है तो उसका इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) केवल खातों में ही रह जाएगा।