जयपुर। निजी कोचिंग संस्थानों की लाखों रुपए की फीस के दौर में सिविल सर्विसेज में जाने का सपना देखने वाले प्रदेश के युवा नि:शुल्क कोचिंग ले पाएंगे। खास बात ये है कि इन छात्रों को राज्य के आला पदों पर बैठे आईएएस, आईपीएस, आरएएस व अन्य अधिकारी सिविल सर्विसेज की तैयारी करवाएंगे। राजस्थान विश्वविद्यालय के एपीटीसी सेंटर में 1 जून से नि:शुल्क आईएएस-आरएएस परीक्षा की तैयारी कक्षाएं शुरू होने जा रही हैं।
स्वयंसेवी संस्था ‘एक पहल’ के बैनर तले होने वाली कोचिंग क्लासेज से राज्य भर के सरकारी कॉलेज व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को भी ऑनलाइन जोड़ा जाएगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 9 अप्रैल को ‘एक पहल इंडिया’ योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना के तहत प्रदेश के युवाओं को नि:शुल्क सिविल सर्विस एग्जाम की कोचिंग दी जाएगी।
3 घंटे का होगा ऑफलाइन बैच
एपीटीसी सेंटर में सुबह 11 से 2 बजे तक ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन किया जाएगा। इन्हीं कक्षाओं का सेटेलाइट के माध्यम से ऑनलाइन प्रसारण प्रदेश के सभी राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में किया जाएगा। कक्षाएं तीन बैच में चलेंगी। पहला बैच सुबह 8 से 11 तक, दूसरा 11 से दोपहर 2 बजे तक और तीसरा बैच दोपहर 2 से सायं 5 बजे तक चलेगा।
ऑनलाइन छात्र भी कर पाएंगे सवाल
प्रसारण का आधार टू वे कम्युनिकेशन रहेगा। छात्र-छात्राओं को एलईडी स्क्रीन पर हैंड राइज बटन की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है जिससे वह चलती कक्षा में अध्ययन करवा रहे शिक्षाविदों से अपने सवाल जवाब कर पाएंगे। प्रतिमाह प्रत्येक बैच में स्टे लेवल पर ऑनलाइन परख परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा, जिसकी मेरिट जिला लेवल पर निकाली जाएगी।
जिले में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को नि:शुल्क पुस्तकें उपलब्ध करवाई जाएंगी। ये अफसर लेंगे कक्षा सीनियर आईएएस अधिकारी टीना डाबी, सृष्टि देशमुख, डॉ. समित शर्मा, गौरव अग्रवाल, किशन सहाय, ओम प्रकाश, मृदुल कछवाहा, ममता गुप्ता, सीनियर आरएएस डॉ. जीएल शर्मा, राजेंद्र शेखावत, मुक्ताराव, डॉ. देवेंद्र धवन, रमेश चंद्र मीणा सहित 100 से अधिक अधिकारी टॉपिक वाइज विषय अध्यापन करवाएंगे।
ट्रस्टी वेलफेयर सोसायटी के देव अमित का कहना है
बेहतर शिक्षा के नाम पर आज कोचिंग संस्थान लाखों रुपये की फीस अलग-अलग कोर्स के हिसाब से लेते हैं। इसे वहन करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। उच्च पदों पर पहुंचने का सपना तो सभी छात्र देख सकते हैं लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से उसे हो पूरा नहीं कर पाते। नि:शुल्क शिक्षा से 40 लाख से अधिक छात्र छात्राओं को लाभ मिलेगा।
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