आभूषण पहनने का शौक हर महिला को होता है। किसी को सोने के गहने पसंद होते हैं, तो किसी को चांदी से बने गहनें। जैसा कि हम जानते हैं कि प्राचीन काल में पुरुष भी महिलाओं के जितने ही गहने पहनते थे। हालांकि वर्तमान में बहुत कम पुरुष शौक से कान में बाली, अंगूठी जैसे आभूषण पहनते हैं। सोने से बने अलंकार काफी महंगे होते हैं। यह तीन प्रकार का होता है- 24 कैरेट सोना, 22 कैरेट सोना तथा 18 कैरेट सोना।
लेकिन एक धातु ऐसी भी है जिससे बने गहने सोने से भी महंगे होते हैं। इस धातु का नाम प्लेटिनम है। इसे सफेद सोना भी कहा जाता है, क्योंकि इसका रंग चांदी की तरह सफेद होता है। सफेद सोना बहुकीमती धातु है, जिससे गले का हार, अंगुठी, चुड़ी, कंमरबंद, पायल जैसे कई आभूषण बनाए जाते हैं। आखिर यह धातु सोने से महंगी क्यों है, तथा इसके क्या-क्या उपयोग हैं, इसके बारे में विस्तार से जानेंगे आज के कॉर्नर में…
प्लैटिनम का इतिहास
प्लैटिनम का इतिहास काफी पुराना है। सबसे पहले प्लेटिनम को वर्ष 1741 में चार्ल्स वुड द्वारा यूरोप लाया गया था। तब से यह एक ज्ञात धातु है। वर्ष 1750 में ब्राउनरिज ने प्लैटिनम के बारे में पूरा विवरण देते हुए एक शोध पत्र प्रकाशित किया था। इसी के बाद वर्ष 1876 में इस धातु को महंगी धातु का स्थान मिला। रूस, कोलम्बिया और दक्षिण अफ्रीका, युराल पर्वत तथा बोर्नियो द्बीप में यह धातु मुख्य रूप से पायी जाती है।
सोना व चांदी के बाद यह सबसे अधिक आघातवर्धनीय धातु है। यही कारण है कि इसे महंगी धातुओं में गिना जाता है। यह एक ऐसी धातु है जो कांच के साथ आसानी से घुल जाती है। अठारहवीं शताब्दी के मध्य में इसे युरोप से दक्षिण अमेरिका लाया गया। इसकी खास बात यह है कि प्लेटिनम शुद्ध रूप में नहीं पाया जाता, इसमें कई धातुओं का मिश्रण पाया जाता है। यह आग से नहीं पिघलती बल्कि इसे बिजली या रासायनिक क्रियाओं द्वारा गलाया जाता है।
प्लेटिनम के उपयोग
प्लेटिनम का इतिहास जानने के बाद यह जानना भी आवश्यक है, कि इसके क्या-क्या उपयोग हैं। प्लेटिनम को एडम उत्प्रेरक भी कहा जाता है। यह धातु न तो वायु द्वारा ऑक्सीकृत होती है ना ही हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में घुलती है। इसका इस्तेमाल फाउण्टेनपेन के निब की टिप बनाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग आभूषण बनाने, प्रयोगशाला के उपकरणों में, इलेक्ट्रोड बनाने, मिश्रधातुओं न हाइड्रोजनीकरण तथा ओसवाल्ड विधि में उत्प्रेरक के तौर पर भी किया जाता है। शुद्ध प्लेटिनम की पहचान हॉलमार्क के द्वारा की जाती है। प्राचीन काल में रूस में प्लेटिनम के सिक्के भी चलते थे।
सफेद सोने की विशेषताएं
सफेद सोना या प्लेटिनम लंबे समय तक चलने वाली धातु है। रिपॉलिश करके इसे फिर से नया किया जा सकता है। प्लेटिनम से बने गहनों में 95 से 98 प्रतिशत प्लैटिनम तथा शेष रोडियम और चांदी होती है। चांदी की तरह सफेद होने के कारण इसे सफेद सोना कहा जाता है। यह सोने तथा चांदी की तरह ही चमकीला होता है। प्लेटिनम एक प्रकार की प्राकृतिक धातु है।