एक समय था जब हमारे घर में बिजली चली जाती थी, तो हम सोचने लगते थे कि काश कोई ऐसा यंत्र होता, जिससे हम बिजली जाने के बाद भी घर में रोशनी कर सकते। हमें ऐसी युक्ति की तलाश थी, जिससे बिना किसी बाधा के कार्य को जारी रखा जा सके। इसलिए जनरेटर नामक उपकरण का आविष्कार किया गया। यह ऐसी युक्ति है जिससे बिजली जाने के बाद भी विद्युत से चलने वाले यंत्रो को चलाया जा सकता था।
दरअसल यह एक सिद्धांत पर कार्य करता है, इसी के कारण बिजली गुल होने के बाद भी हम अपने कार्य को सुचारू रूप से जारी रख सकते हैं। बिजली लाने का यह सबसे प्राचीन तरीका है, हालांकि इसके बाद कुछ आधुनिक मशीनें जैसे- इन्वर्टर भी काम में लिया जाने लगा है। इनके अंदर कौनसी युक्ति प्रयुक्त की जाती है तथा कौनसे सिद्धान्त पर कार्य करते हैं, इसके बारे में जानना हर किसी की इच्छा होती है।
जनरेटर और इन्वर्टर
जनरेटर बिजली उत्पादन में काम आता है। यह यांत्रिक ऊर्जा पर कार्य करता है, जो कि ईंधन-आधारित शक्ति यानी रासायनिक ऊर्जा को विद्युत शक्ति में बदल देता है। जनरेटर के अलावा टर्बाइन, गैस टर्बाइन, पानी टर्बाइन, आंतरिक दहन इंजन, पवन टर्बाइन तथा हाथ क्रैंक भी यांत्रिक ऊर्जा के स्रोत हैं। बात करें जनरेटर के आविष्कार की तो दुनिया का पहला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक जनरेटर फैराडे डिस्क का आविष्कार वर्ष 1831 में हुआ था।
इसे ब्रिटिश वैज्ञानिक माइकल फैराडे ने बनाया था। अब बात करते हैं इन्वर्टर की, इसे पॉवर इन्वर्टर भी कहा जाता है। यह एक ऐसा पॉवर सप्लाई है, जो डीसी को एसी में बदल देता है। यह बिजली चले जाने के बाद भी घर को रोशन रखता है। खास बात यह है कि भारत के कुंवर सचदेव ने प्लास्टिक इंवर्टर का आविष्कार किया था। इसलिए उन्हें ‘द इन्वर्टर मैन ऑफ इंडिया’ और ‘द सोलर मैन ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है।
इस सिद्धान्त पर कार्य करता है जनरेटर
जनरेटर की कार्यशैली को देखकर हर कोई सोचता है कि आखिर यह काम कैसे करता है। इनवर्टर के लिए बिजली का होना जरूरी होता है, क्योंकि यह अतिरिक्त विद्युत को एकत्र कर लेता है, जिसे जरूरत पड़ने पर काम में लिया जा सकता है। लेकिन जनरेटर के लिए बिजली की आवश्यकता नहीं होती, यह विद्युत उत्पादन उत्पन्न करने के लिए सौर ऊर्जा और हाइड्रोजन-आधारित ईंधन का उपयोग करते हैं।
इसके बाद विद्युत मोटर के द्वारा विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में रिवर्स रूपांतरण किया जाता है। दरअसल जनरेटर एक ऐसी युक्ति है जो यांत्रिक उर्जा को विद्युत उर्जा में बदल देती है। इसके लिये यह माईकल फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
इन्वर्टर के प्रकार
जनरेटर के बारे में जान लेने के बाद अब इन्वर्टर के बारे में जान लेते हैं। नियंत्रण के आधार पर यह कई प्रकार के होते हैं। जैसे- लाइन से बन्द होने वाले (लाइन कम्युटेटेड) इन्वर्टर, अपनेआप बन्द-चालू होने वाले इन्वर्टर (सेल्फ कम्युटेटेड इन्वर्टर), आउटपुट के तरंग-आकार के आधार पर, स्क्वायर-वेव आउटपुट तथा साइन-वेव आउटपुट। इसके अलावा ऊर्जा बचाने वाले लैम्प में भी छोटा इन्वर्टर लगा होता है।
(Also Read- बिजली के बजाए पानी से चलता था पंखा, 141 वर्ष पहले हुआ था इसका आविष्कार)