विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालयों की नजरें अपने विदेशी ‘कैंपस’ स्थापित करने के लिए अफ्रीकी और खाड़ी देशों, थाईलैंड और वियतनाम पर टिकी हैं और इसके लिए नियम तैयार हो चुके हैं तथा एक महीने में घोषित कर दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कई देश भारतीय विश्वविद्यालयों को अपने यहां ‘कैंपस’ स्थापित करने के लिए बुनियादी ढांचा प्रदान करने के वास्ते आगे आ रहे हैं और यूजीसी उन संस्थानों को वैसे देशों की पहचान करने में मदद करेगा, जहां वे अपने विदेशी परिसर स्थापित कर सकते हैं।
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हमारे पास भारत में विशाल विश्वविद्यालयीन पारिस्थितिकी तंत्र है। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा वित्त-पोषित तथा निजी विश्वविद्यालय- दोनों ही श्रेणियों में उत्कृष्ट संस्थान मौजूद हैं। हम इन विश्वविद्यालयों को विदेशों में अपने परिसर (कैंपस) स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो अपने यहां हमारे विश्वविद्यालयों के कैंपस स्थापित करने के लिए आगे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई देश हैं जहां हमारे पास बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय हैं, जो चाहते हैं कि हमारे कैंपस उन देशों में स्थापित हों और शिक्षा उपलब्ध कराएं।
कई आईआईटी काे मिल रहे हैं प्रस्ताव
अध्यक्ष ने कहा कि अफ्रीकी देशों में कैंपस स्थापित करने की बहुत बड़ी संभावना है। थाईलैंड, वियतनाम और कुछ खाड़ी देशों में भी इसे लेकर अपार रुचि है। हां, हमारे पास अब तक कोई सक्षम नियम नहीं हैं। कई आईआईटी को अपने कैंपस स्थापित करने के लिए मध्य-पूर्व और दक्षिण एशियाई देशों से अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। आईआईटी- दिल्ली जहां संयुक्त अरब अमीरात में एक परिसर स्थापित करने पर विचार कर रहा है, वहीं आईआईटी-मद्रास श्रीलंका, नेपाल और तंजानिया में विकल्प तलाश रहा है। मिस्र, थाईलैंड, मलेशिया और ब्रिटेन में भी आईआईटी कैंपस खोलने की योजना है।
आईआईटी के अपने नियम और कानून
आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि आईआईटी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों के रूप में जाना जाता है, वे आईआईटी परिषद के तहत काम करते हैं। इसके अपने नियम और कानून हैं, जिसके तहत वे अपने स्वयं के परिसर स्थापित कर सकते हैं। पहले से ही कुछ आईआईटी उस पर काम कर रहे हैं। केंद्र ने पिछले साल आईआईटी परिषद की स्थायी समिति के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था।
पैनल ने आईआईटी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) या भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) जैसी एक सामान्य प्रणाली बनाने की सिफारिश की है, जिसके तहत संस्थानों की एक शृंखला स्थापित की जा सकती है, क्योंकि वर्तमान आईआईटी अधिनियम देश के बाहर आईआईटी बनाने के लिए प्रावधान नहीं करता है। पैनल ने सिफारिश की थी कि आईआईटी के विदेशी कैंपस को ‘इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी’ के रूप में नामित किया जा सकता है और यहां के प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थानों के संकाय सदस्यों को विदेश में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकता है।
भारत में आईआईटी अपने ब्रांड नाम का इस्तेमाल करने के लिए विदेशों में स्थित कैंपस से रॉयल्टी प्राप्त कर सकते हैं। कुमार ने कहा कि हितधारकों से प्राप्त ‘फीडबैक’ को ध्यान में रखते हुए अंतिम मानदंड भी एक महीने के भीतर घोषित कर दिए जाएंगे। यूजीसी ने 2021 में अपने नियमों में संशोधन किया था, जिसके तहत विदेश और गृह मामलों के मंत्रालयों से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा विदेशों में परिसर स्थापित किए जाने हैं।
एनईपी में तीन प्रमुख सुधार
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेखित “शिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण” योजना में तीन प्रमुख सुधार शामिल हैं- विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस स्थापित करना, भारतीय विश्वविद्यालयों को विदेशों में कैंपस स्थापित करना तथा दोहरी व्यवस्था, दोहरी डिग्री एवं विदेशी विश्वविद्यालयों के सहयोग से भारतीय विश्वविद्यालयों में संयुक्त डिग्री कार्यक्रम।
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