नई दिल्ली। गर्म जलवायु के कारण समय से पहले वसंत जैसा मौसम आने लगा है, जब पक्षी अंडे देने के लिए वास्तविक रूप से तैयार नहीं रहते हैं और इस वजह से पक्षियों की आबादी में गिरावट दर्ज की जा रही है। यह जानकारी एक नए शोध में सामने आया है। चौंकाने वाली बात ये है कि 21वीं सदी के अंत तक वसंत 25 दिन पहले शुरू हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ‘सांगबर्ड’ यानी संगीत की ध्वनि की तरह चहकने वाले पक्षी लुप्त हो जाएंगे? अगर इस शोध की मानें तो जल्द ही सांगवर्ड की प्रजाति लुप्त हो जाएगी।
नए शोध में कहा गया है कि ‘सांगबर्ड’ प्रजातियों की प्रजनन क्षमता में 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जा सकती है। वसंत के जल्दी शुरू होने तथा इन पक्षियों के अंडे देने की तैयारी में अंतराल के कारण स्थिति बदतर होने वाली है, क्योंकि धरती का तापमान बढ़ रहा है। लॉस एंजिलिस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (यूसीएलए) और अमेरिका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की ओर से किये गये शोध से इस बात का पता चला है कि यदि पक्षी समय से पहले या मौसम की अंतिम अवधि में अंडे देना शुरू करते हैं तो यह संख्या अपेक्षाकृत कम होती है।
पक्षी नहीं ढल पाए हैं मौसम के अनुकूल
शोधकर्ताओं ने प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (पीएनएएस) नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण वसंत जैसा मौसम समय से पहले आ रहा है, लेकिन ये पक्षी खुद को इसके अनुकूल फिलहाल ढाल नहीं पाए हैं।
अंडों या नवजात चूजों को पहुंच सकता है नुकसान
मिशिगन स्टे यूनिवर्सिटी के पोस्ट-डॉक्टरेट फेलो एवं अध्ययन के प्रथम लेखक कैसी यंगफ्लेश ने कहा कि ऐसी संभावना है कि 21वीं सदी के अंत तक वसंत का मौसम 25 दिन पहले शुरू हो सकता है, जबकि पक्षियों में अंडे देने के समय का यह अंतर महज 6.75 दिन ही कम हो सकेगा। संतति बढ़ाने के मामले में पक्षियों के लिए समय का बहुत ही महत्व होता है। समय से पहले या देरी से अंडे देने की वजह से अंडों या नवजात चूजों को नुकसान पहुंच सकता है।
ऐसे किया गया अध्ययन
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बडे पैमाने पर ‘पक्षी ब्रिडिंग’ कार्यक्रम के आंकड़ों का इस्तेमाल करके 2001 और 2018 के बीच पूरे उत्तरी अमेरिका के वन क्षेत्रों के पास 179 स्थानों पर 41 प्रवासी और स्थानीय पक्षी प्रजातियों के प्रजनन के समय और पैदा होने वाले बच्चों की संख्या की गणना की। यूसीएलए में पारिस्थितिकी और विकासवादी जीवविज्ञान के एसोसिएट प्रोफे सर एवं अध्ययन के वरिष्ठ लेखक मॉर्गन टिंगले ने कहा,उत्तरी अमेरिका ने 1970 के दशक के बाद से पक्षियों की अपनी आबादी का लगभग एक तिहाई हिस्सा खो दिया है।
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