राहुल गांधी के मानहानि केस में लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद अब चारों तरफ यह चर्चा छिड़ी हुई है कि अब राहुल गांधी क्या करेंगे। हालांकि जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वह इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। अगर कांग्रेस हाईकोर्ट से भी संतुष्ट नहीं होती है तो वह अपनी अर्जी सुप्रीम कोर्ट में भी लगा सकती है।
2019 से 2023…पहले टिप्पणी अब सजा
राहुल गांधी का साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी सरनेम को लेकर इतना गहरा जाएगा और उसका यह नतीजा निकलेगा यह तो किसी ने भी नहीं सोचा था। इसके लिए सबसे पहले जानते हैं कि आखिर राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर ऐसी क्या टिप्पणी की थी और कैसे-कैसे यह इतना आगे बढ़ गया कि राहुल गांधी को 2 साल की सजा मिली और अब उनकी सदस्यता भी रद्द हो गई।
1- राहुल गांधी कर्नाटक की वायनाड सीट से सांसद थे। साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्होंने कर्नाटक के ही कोलार में एक जनसभा की थी। अपने भाषण में उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा था कि क्यों सभी चोरों का एक ही सरनेम मोदी होता है। दरअसल राहुल गांधी ने यह बयान नीरव मोदी, ललित मोदी, विजय माल्या के विदेश भागने को लेकर कहा था।
2- राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने गुजरात कोर्ट में मानहानि का केस दर्ज करा दिया। उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी ने मोदी कम्युनिटी को टारगेट किया है और ओबीसी वर्ग को ठेस पहुंचाई है।
3- अदालत में सबूत के तौर पर राहुल गांधी के भाषण की क्लिप भी दिखाई गई। इस क्लिप को उन्होंने मोदी समुदाय को बदनाम करने से जोड़कर पेश किया था। लेकिन राहुल गांधी की पैरवी कर रहे वकील ने कहा था कि इसकी कार्यवाही शुरू से ही गलत रही क्योंकि धारा 202 के तहत कानून का पालन नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा था कि राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी को लेकर के यह टिप्पणी नहीं की थी बल्कि नीरव मोदी और ललित मोदी को लेकर टिप्पणी की थी लेकिन इसे बेहद गलत तरीके से पेश किया गया और इसका मामला दायर किया गया।
4- दूसरी गलत बात यह रही है कि राहुल गांधी अपने अधिकतर भाषणों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टारगेट करते हैं तो पूर्णेश मोदी के द्वारा मानहानि का केस दायर करने का क्या मतलब है। वह पीड़ित पक्ष तो है नहीं, ना ही पूर्णेश मोदी को उन्होंने टारगेट किया था। इस मामले में पीड़ित पक्ष के रूप में शिकायतकर्ता होना चाहिए था जो कि नहीं है।
5- इस केस की सुनवाई के लिए राहुल गांधी तीन बार कोर्ट में पेश हुए एक बार साल 2020 में, दूसरी बार साल 2021 में और तीसरी बार साल 2023 में। जब राहुल गांधी आखिरी बार अक्टूबर 2021 में कोर्ट में पेश हुए थे, तब उन्होंने अपना बयान दर्ज करते हुए खुद को निर्दोष बताया था।
6- हालांकि इसके बावजूद अदालत ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया। राहुल गांधी के वकील ने यह भी कहा था कि राहुल गांधी की सजा को कम से कम रखा जाए क्योंकि उनके इस बयान से किसी को क्षति नहीं पहुंची है। राहुल ने कोर्ट में अपने बयान को मांगने से माफी मांगने से भी इंकार कर दिया था।
7- कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा और 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया था। हालांकि इस मामले में राहुल गांधी को जमानत दे दी गई थी और सजा पर 30 दिनों के लिए रोक भी लगाई गई है।
अब आगे क्या ?
8- जैसे कि कांग्रेस ने कहा है कि राहुल गांधी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपनी याचिका दायर करेंगे। अगर कोर्ट इस फैसले को पलट देती है तो राहुल गांधी के सदस्यता अपने आप ही बहाल हो जाएगी।
9- अगर हाईकोर्ट सिर्फ राहुल गांधी की सजा को रद्द करती है तो भी वे संसद के सदस्य नहीं होंगे इसके लिए राहुल गांधी के कनविक्शन पर स्टे लगाना होगा।
10- अगर राहुल गांधी को हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिलती है तो वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी अर्जी लगाएंगे। ध्यान रहे कि साल 1975 में जब इंदिरा गांधी की सदस्यता को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था, तब सुप्रीम कोर्ट ने ही उनकी सदस्यता को आंशिक रूप से बहाल किया था। उन्होंने इस फैसले को पलटते हुए कहा था कि इंदिरा गांधी संसद के सदस्य बनी रह सकती हैं। वह कार्यवाही में भाग ले सकती है लेकिन वह वोटिंग में हिस्सा नहीं ले सकती हैं। अब राहुल गांधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का इस तरह का रुख रख सकती है और नहीं भी।