UP : उत्तर प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के रूप में योगी कैबिनेट में मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी (Bhupendra Singh Chaudhary) को चुना गया है। पार्टी के महासचिव अरुण सिंह की ओर से इस संबंध में पत्र जारी किया गया। जिसमें कहा गया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के लिए भूपेंद्र सिंह चौधरी को नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा।
जाट समाज से ताल्लुक….भाजपा को फायदा!
भूपेंद्र सिंह का नियुक्ति के अब सियासी मायने भी गढ़े जा रहे हैं। क्योंकि भूपेंद्र जाट समाज से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए इसे भाजपा के जाट समुदाय को साधने के नजरिए से देखा जा रहा है। पूर्वांचल की राजनीति में जाट समाज का काफी हस्तक्षेप है। हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र से काफी फायदा मिला था बावजूद इसके भाजपा के सामने सपा और RLD के गठबंधन की चुनौती थी। क्योंकि पूर्वांचल को RLD अध्यक्ष जयंत चौधरी का गढ़ माना जाता है।
लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सपा और RLD के गठबंधन खेमे में माने जा रहे जाट वोटों में बड़ी सेंधमारी की थी। RLD के गढ़ माने जाने वाले पूर्वांचल में जाट वोटर्स इस बार भाजपा के साथ आए। जो कि जाट राजनीति के संदर्भ में एक बहुत बड़ी बात है। जाटों ने यूपी में भाजपा की जीत को काफी अंतर से बढ़ा दिय़ा था। यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि 3 कृषि कानूनों को लेकर किसान और जाट समाज के लोगों का भाजपा के प्रति कड़ा रुख हो गया था, जिसे ध्यान में रखते हुए भाजपा अब इस वर्ग के लोगों को साधना चाह रही है।
राजस्थान में भी चल चुकी है दांव
भाजपा के जाट समाज को लुभाने की बानगी इससे भी समझ में आती है कि उसने उपराष्ट्रपति पद के लिए जाट समाज में अच्छी खासी पैठ बनाने वाले जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया था। धनखड़ चुनाव जीत भी गए हैं औऱ उपराष्ट्रपति भी बन चुके हैं। राजस्थान की राजनीति में भी जाटों को साधना बेहद अहम माना जाता है, क्योंकि यहां के 5 जिलों में हार जीत जाट ही तय करते हैं। राजस्थान के जाटलैंड पर धनखड़ के सहारे भाजपा अपनी नैया पार लगाने की जुगत में है। देखा जाए तो राजस्थान में नागौर, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, जोधपुर, भरतपुर, जयपुर, बाड़मेर, जैसलमेर में जाटों की अच्छी खासी तादाद है और पूरे प्रदेश में लगभग 9 प्रतिशत जाट समाज के लोग हैं।