नई दिल्ली। शादीशुदा जोड़ों को तलाक लेने के लिए अब 6 महीने का इंतजार करने की बाध्यता नहीं झेलनी पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट के आज सुनाए गए फैसले में अब एक झटके में ही शादी टूट सकती है। इसका अधिकार भी सुप्रीम कोर्ट ने दिया है।
दरअसल आज सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि सुप्रीम कोर्ट को किसी शादी को सीधे-सीधे खत्म करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी तरफ से ही तलाक का आदेश दे सकता है। इसके लिए जोड़े को 6 महीने के इंतजार करने की भी जरूरत नहीं है। अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी मामले में जब शादी जारी रहना असंभव हो, तो ऐसे हालात में सीधे तलाक का आदेश दे सकता है। बशर्ते इसके लिए दोनों पक्षों में आपसी सहमति होनी चाहिए।
अनुच्छेद 142 के तहत सुनाया फैसला
हालांकि सुप्रीम कोर्ट टूटी हुई शादियों को रद्द करने के लिए इसी अनुच्छेद 142 के तहत मिली अधिकारों का प्रयोग करता रहा है लेकिन सितंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट इस बारे में सहमत हो गया था कि शादी के बंधन में बंधे दोनों पक्षों की सहमति के बिना जब वे अलग रह रहे हैं तो इस विवाह को भी तोड़ सकते हैं। 29 सितंबर को कोर्ट ने यह फैसला सुरक्षित रख लिया था जो आज सुनाया गया है।
इस मामले में सुनाया फैसला
दरअसल आज कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की थी कि सुप्रीम कोर्ट को किसी भी शादी को सीधे रद्द करने का अधिकार है या फिर उस मामले को पहले निचली अदालत मिल ले जाया जाए, फिर उसके बाद जो फैसला आता है उसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट इसकी अपील सुनेगा। जिसमें आज सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दे दिया है कि अब सीधे तौर पर वह किसी भी शादी को रद्द करने का आदेश देता दे सकता है।
क्या है अनुच्छेद 142
दरअसल संविधान का अनुच्छेद 142 देश के सुप्रीम कोर्ट को विशेषाधिकार और विशाल शक्तियां प्रदान करता है। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट उन मामलों में अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग से आदेश दे सकते हैं, जो किसी भी कार्य, उसके सामने किसी लंबित मामले में पूरी तरह न्याय करने के लिए जरूरी है।
इस अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने कई बार विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए कई आदेश जारी किए हैं। जिसमें पर्यावरण की रक्षा के लिए फैसले, ताजमहल की सफाई के लिए फैसले, हाईवे के किनारे शराब की बिक्री पर प्रतिबंध, स्कूल या शिक्षण संस्थान के 500 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के नशे की सामग्री बेचे जाने पर प्रतिबंध। अब इसमें शादी तोड़ने का फैसला भी शामिल हो गया है।