सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात ATS ने जबसे गिरफ्तार किया है तब से पूरे देश में तीस्ता को लेकर चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। अब तीस्ता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए गुजरात दंगे की जांच कर रही SIT ने तीस्ता पर गंभीर आरोप लगाया। साथ ही एक बड़ा खुलासा भी किया है। SIT का कहना है कि तीस्ता गुजरात दंगे की साजिश का एक बड़ा हिस्सा थीं। उन्होंने कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के कहने पर 2002 की गुजरात में मोदी सरकार गिराने की साजिश रची थी। यही नहीं तीस्ता ने इस काम के एवज में 30 लाख रुपए भी लिए थे।
दरअसल 2002 के गुजरात दंगे को लेकर गुजरात SIT ने अहमदाबाद के एक सेशन कोर्ट में बीती 15 जुलाई को एक एफिडेविट दाखिल किया था। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ बड़ा खुलासा किया गया है। SIT का कहना है कि 2002 में गुजरात सरकार को बदनाम करने के लिए तीस्ता को कांग्रेस से फंड मिला था। SIT एफिडेविट के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकार अहमद पटेल के आदेश पर सीतलवाड़ को एक बार 5 लाख रुपए और एक बार 25 लाख रुपए दिए गए थे।
SIT के इस दावे पर अब भाजपा-कांग्रेस में जुबानी जंग
SIT के कोर्ट में दाखिल किए इस एफिडेविट के आरोपों को कांग्रेस ने सिरे खारिज कर दिया है। वहीं, अहमद पटेल की बेटी ने पलटवार करते पूछा है कि मेरे पिता के जीवित रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई? विपक्ष को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है।
तो दूसरी तरफ भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि गुजरात दंगे में तत्कालीन भाजपा सरकार को गिराने की पूरी साजिश सोनिया गांधी ने रची थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से 2002 में गुजरात की मोदी सरकार को गिराने की और उन्हें अपमानित करने की कोशिश की गई। अब परत दर पर उसकी कलई खुल रही है।
मोदी के खिलाफ CBI जांच की उठाई थी मांग, अब खुद ही घेरे में
पिछले महीने जून में गुजरात दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट मिली थी। उस वक्त मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। मोदी के साथ 63 और लोगों पर कोर्ट ने क्लीनचिट की मुहर लगाई थी। यह क्लीनचिट SIT की ओर से मामले की जांच के बाद दी गई थी। मोदी समेत इन 64 लोगों पर गुजरात दंगों को भड़काने का आरोप लगाया गया था। मोदी को आरोपित करार देने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ ने खासी जद्दोजहद की थी। यह मामला शुरु होता है साल 2007 से जब तीस्ता ने पहली बार गुजरात हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उन्होंने खुद को दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की सह याचिकाकर्ता बताया था। तीस्ता ने ही मोदी और 61 अन्य नेताओं, नौकरशाहों व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ 2002 में गुजरात दंगों में कथित तौर पर भूमिका होने का आरोप लगाया था। उन्होंने इस मामले में CBI जांच की मांग भी उठाई थी। इस मामले में आरोपित बनाए गए नरेंद्र मोदी से भी SIT ने कई-कई घंटो तक पूछताछ की। लेकिन जैसा याचिका में आरोप लगाया गया था वैसा उनके खिलाफ कुछ भी हाथ नहीं लगा। आखिरकार SIT ने मोदी को क्लीनचिट दे दी। ये मामला यहीं नहीं थमा। SIT की इस क्लीनचिट को चुनौती दी गई और इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाकिया जाफरी ने फिर से याचिका दाखिल की थी। जिसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ खारिज कर दिया बल्कि इसे आधारहीन तक बता दिया। मोदी पर दंगों का इल्जाम मढ़ने वाली तीस्ता पर अब खुद ही तलवार लटक रही है। उन्हें 2 जुलाई तक रिमांड पर भेजा गया है।
इस तरह बनी दंगा पीड़ितों से ‘कमाने’ की पूरी ‘स्क्रिप्ट’
तीस्ता सीतलवाड़ पूर्व पत्रकार भी हैं और सोशल वर्कर भी इसके साथ ही उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है, तो उन पर लोगों को आसानी से भरोसा भी हो जाता था। तीस्ता सीतलवाड़ सिटिजंस फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) की फाउंडी ट्रस्टी और सचिव हैं। यह NGO 2002 के गुजरात दंगों के बाद स्थापित किया गया था। जिसका अहम कार्य होता था दंगा पीड़ितों को कानूनी मदद दिलाना। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व CBI डायरेक्टर आरके राघवन को इसकी जांच की कार्यभार सौंपा। ये वहीं आरके राघवन हैं जिन्हें 2002 में गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट देने औऱ उनके खिलाफ कोई सबूत न मिलने के बाद उन्हें विरोधियों की ओर से प्रताड़ित किया गया था।