Subrata Roy Special Story : नई दिल्ली। सहारा इंडिया के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार देर रात निधन हो गया। 75 साल के सुब्रत रॉय ने देर रात 10.30 बजे मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। सहारा ग्रुप कभी देश के सबसे ताकतवर कारोबारी घरानों में से एक था। टाइम पत्रिका ने तो एक समय सहारा इंडिया परिवार को इंडियन रेलवे के बाद भारत के दूसरे सबसे बड़े नियोक्ता के रूप में प्रतिष्ठित किया था। जिसमें बताया था कि करीब 1.2 मिलियन लोग सहारा परिवार के साथ जुड़े हैं और सहारा समूह के पास 9 करोड़ से अधिक निवेशक हैं। लेकिन, उपलब्धियों के साथ-साथ सुब्रत रॉय का विवादों से भी नाता रहा है।
लोगों ने सहारा कंपनी की कई स्कीमों में अपना पैसा लगाया था, लेकिन कंपनी ने घाटे के चलते लोगों के पैसों का भुगतान नहीं किया और मामला पटना हाईकोर्ट में चला गया था। लेकिन, जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सहारा चीफ सुब्रत रॉय को इस मामले में राहत मिल गई। लेकिन, जब सहारा ग्रुप की कंपनियां निवेशकों को भुगतान करने में विफल रहीं तो कोर्ट ने 4 मार्च 2014 को सुब्रत रॉय को जेल भेज दिया था।
दो साल तक तिहाड़ जेल में रहे
कोर्ट ने उन्हें निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपये ब्याज समेत लौटाने का आदेश दिया था। इसकी वजह से सुब्रत रॉय की निजी जिंदगी के साथ-साथ उनका कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। रॉय को करीब दो साल तक तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था। हालांकि, वो 6 मई 2017 से पेरोल पर हैं। सुब्रत रॉय मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पहली बार परोल पर जेल से बाहर आए थे। इसके बाद परोल को और बढ़ा दिया गया था।
रॉय का ये सपना रह गया अधूरा
सुब्रत रॉय का कहना था कि वो कैसे भी करके लोगों तक उनका पैसे पहुंचना चाहते हैं, लेकिन उनके निधन के बाद उनका यह सपना अधूरा रह गया। वहीं, निवेशकों के पैसे लौटाने को लेकर सहारा इंडिया का दावा है कि वह सारी रकम सेबी के पास जमा करा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए “सहारा-सेबी रिफंड खाता” स्थापित किया है।
कौन है सुब्रत रॉय?
सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया जिले सुधीर चन्द्र रॉय के घर में हुआ था। उन्होंने कोलकाता के होली चाइल्ड स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद राजकीय तकनीकी संस्थान गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था। इसके बाद साल 1978 में उन्होंने गोरखपुर से अपना व्यवसाय शुरू किया और सहारा इंडिया परिवार की स्थापना की। भारत की इस कंपनी ने कार्य वित्तीय सेवाओं, हाउसिंग फाइनेंस, म्युचुअल फंडों, जीवन बीमा, नगर-विकास, रीयल-इस्टेट, अखबार एवं टेलीविजन, फिल्म-निर्माण, खेल, सूचना प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, पर्यटन, उपभोक्ता सामग्री सहित अनेकों क्षेत्रों में फैला हुआ है। साल 1990 के बाद सुब्रत रॉय ने सहारा टीवी के साथ टेलीविजन इंडस्ट्री में प्रवेश किया, जिसे बाद में सहारा वन नाम दिया गया। इसके पास आईपीएल में एक टीम भी थी। फॉर्मूला वन टीम फोर्स इंडिया में भी इस ग्रुप का निवेश था। कई साल तक सहारा ग्रुप भारतीय क्रिकेट टीम का भी स्पॉन्सर रहा।
इन्हें कई अवार्ड भी मिले
सहारा ग्रुप कभी देश के सबसे ताकतवर कारोबारी घरानों में से एक था। रॉय द्वारा संचालित सहारा समूह के पास 30 जून 2019 तक 2,82,224 करोड़ रूपए की परिसंपत्तियां रही। उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया था। सुब्रत रॉय को यूनिर्वसिटी ऑफ़ ईस्ट लंदन ने साल 2013 में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से नवाजा। इसके अलावा साल 2011 में लंदन में दा बिजनेस आइकॉन ऑफ दा ईयर अवार्ड, साल 2011 में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,दरभंगा में डी लिट की मानद उपाधि, साल 2012 में इंडिया टुडे द्वारा भारत के दस सबसे प्रभावशाली व्यवसायियों में शुमार, साल 2007 में आईटीए-टीवी आइकॉन ऑफ दा ईयर, साल 2004 में ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड, 2002 में बिजनेस ऑफ दा ईयर अवार्ड, 2010 में विशिष्ट राष्ट्रीय उड़ान सम्मान, 1994 में कर्मवीर सम्मान, 2001 में दा नेशनल सिटीजन अवार्ड और 2013 में इंडियन टेलीविज़न अकादमी अवार्ड मिला था।
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