यूपी की मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा और भाजपा की सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। यहां पर सपा की तरफ से दिवंगत मुलायम सिंह यादव की बड़ी बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा गया है। डिंपल के सामने भाजपा ने रघुराज शाक्य को उम्मीदवार बनाया है। सपा की तरफ से डिंपल ने नामांकन दाखिल किया था तो अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव समेत पार्टी के सारे बड़े नेता मौजूद थे। लेकिन यहां पर शिवपाल यादव नजर नहीं आए थे। जिससे अटकलें लगाई जा रहीं थीं शायद मुलायम सिंह की सीट पर उनकी बहू को उतारने के चलते वे नाराज हो गए हैं। लेकिन अब उनके रूख में थोड़ी नरमी नजर आ रही है।
डिंपल को जिताकर मुलायम सिंह को देंगे श्रद्धांजलि
दरअसल शिवपाल यादव ने उपचुनाव में जीत को लेकर एक बयान दिया है उन्होंने कहा है कि डिंपल यादव हमारे परिवार की बड़ी बहू हैं, उन्हें जिताने के लिए हम सब एक साथ आएंगे। बीते बुधवार को सैफई के एसएस मेमोरियल स्कूल में जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र में बूथ कार्यकर्ताओं के साथ चुनाव को लेकर चर्चा कर रहे थे। जहां उन्होंने कहा कि सभी को डिंपल यादव को जिताना है उसकी सभी को मिलकर तैयारी करनी है। बैठक में कार्यकर्ताओं को शिवपाल ने बताया कि डिंपल को जिताकर हमें एक तरह से मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि देनी है।
भाजपा फैला रहा है अफवाह
बैठक में शामिल नेताओं ने भी कहा कि शिवपाल उनके नेता हैं और उन्होंने डिंपल यादव को जिताने के लिए संदेश दे दिया है। अब सभी डिंपल को जिताने के लिए काम करेंगे। वहीं पूर्व सांसद तेज प्रताप सिंह यादव ने कहा कि प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव और अध्यक्ष आदित्य यादव एक दो दिन में प्रचार शुरू कर देंगे। हमारा परिवार एक है और एक साथ मिलकर ही डिंपल यादव को इस चुनाव में जिताएंगे। भाजपा जो ये षड्यंत्र रच रही है कि मुलायम सिंह यादव का परिवार बिखर रहा है या एक नहीं है तो बता दूं ये बिल्कुल अफवाह है इस पर ध्यान न दें यह चुनाव तो सपा ही जीतेगी।
भाजपा को लगा बड़ा झटका
अब शिवपाल यादव के इस रूख से भाजपा की उन उम्मीदों को झटका लगा है जिसमें उसने सोचा था कि अखिलेश यादव से शिवपाल की तल्खी का फायदा इस चुनाव में उठाया जा सकता है। लेकिन अब शिवपाल यादव ने साफ कर दिया है कि वे सब मिलकर डिंपल यादव को जिताएंगे। बता दें कि सपा से पूर्व कन्नौज सांसद डिंपल यादव को उतारा गया है तो भाजपा ने इटावा सांसद रघुराज सिंह शाक्य को उतारा है। रघुराज पर भाजपा ने अपना दांव इसलिए भी चला था क्योंकि वे शिवपाल यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं। बता दें कि रघुराज सिंह शाक्य पहले सपा में थे। इसके बाद प्रसपा बनने पप वे शिवपाल के साथ आ गए। लेकिन इसके बाद उन्होंने प्रसपा छोड़कर भाजपा का हाथ थाम लिया।