नई दिल्ली। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि वह ही पार्टी के अध्यक्ष हैं। यहां पार्टी की कार्यसमिति की बैठक के बाद शरद पवार ने कहा कि राकांपा का अध्यक्ष मैं ही हूं। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से हाथ मिलाने वाले प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे और नौ अन्य को पार्टी से निष्कासित करने संबंधी फैसले को कार्यसमिति ने मंजूरी दी। पार्टी नेता पी. सी. चाको ने यहां मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि कि बैठक में आठ प्रस्ताव पारित किए गए। अजित पवार के बहुमत होने के दावे पर शरद पवार ने कहा कि सच सामने आ जाएगा।
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चाको ने कहा कि संगठन शरद पवार के साथ है। उन्होंने कहा कि राकांपा कार्यसमिति ने राजग से हाथ मिलाने वाले प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे और नौ अन्य लोगों को निष्कासित करने संबंधी फैसले को मंजूरी दे दी है। शरद पवार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए थे। हम किसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के दावे को गंभीरता से नहीं लेते। उन्होंने कहा कि हमारा संगठन अभी भी एकजुट है। चाको ने कहा कि राकांपा हर तीन साल पर चुनाव कराती है और लोग नियमित रूप से निर्वाचित होते हैं।
अजित ने पेश किया दावा
अजित पवार गुट ने राकांपा के नाम और चुनाव चिह्न (घड़ी) पर दावा भी पेश कर दिया है। इस गुट का दावा है कि उसके पास 40 से अधिक विधायकों का समर्थन है। महाराष्ट्र विधानसभा में राकांपा के 53 सदस्य हैं। दसरी तरफ, ू शरद पवार का कहना है कि वह ही राकांपा के अध्यक्ष हैं और उनकी पार्टी का नाम एवं चुनाव चिन्ह कोई नहीं छीन सकता।
बैठक की कोई कानूनी वैधता नहीं: अजित
मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने कहा है कि गुरुवार को दिल्ली में शरद पवार की ओर से आहूत कार्यसमिति की बैठक की कोई कानूनी वैधता नहीं है। इसमें कहा गया कि राकांपा के निर्वाचित प्रतिनिधियों के बहुमत के साथ-साथ विभिन्न संगठनात्मक पदों पर काम करने वाले सदस्यों के भारी समर्थन से अजित पवार को 30 जून, 2023 को राकांपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुना गया है। अजित ने निर्वाचन आयोग के समक्ष एक याचिका भी दायर की है जिसमें कहा गया है कि वह मूल राकांपा का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसलिए पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न उन्हें दिया जाए।
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मूल राकांपा के प्रतिनिधित्व के बारे में एक सवाल को लेकर बयान में कहा गया है कि यह निर्वाचन आयोग के विशेष अधिकार क्षेत्र में है और इसलिए जब तक इस संबंध में आयोग कोई फै सला नहीं ले लेता, पार्टी के भीतर किसी भी व्यक्ति के पास राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक को बुलाने का कोई अधिकार नहीं है।