कांग्रेस के अध्यक्ष चुनाव के बाद पूरे देश में मल्लिकार्जुन खड़गे से पार्टी में कई बदलाव की उम्मीदें जताई जा रही है तो दूसरी तरफ कई विश्लेषकों का यह भी कहना था कि खड़गे गांधी परिवार के पसंदीदा हैं। इसलिए खड़गे उन्हीं के अनुसार पार्टी में काम करेंगे। लेकिन राहुल गांधी ने दो टूक कह दिया कि मल्लिकार्जुन खड़गे के कामकाज में वे किसी भी तरह की दखलंदाजी नहीं करेंगे।
पार्टी में देखने को मिल सकते हैं बदलाव
खबरों के मुताबिक राहुल गांधी ने इसे सीधे शब्दों में संगठन के मामलों में किसी भी तरह के हस्तक्षेप के लिए मना किया हुआ है। अब राहुल गांधी की इस बात से यह तो साफ है कि कांग्रेस पार्टी के अंदरूनी मामलों में अपने पार्टी अध्यक्ष की बात सर्वोपरि रखेंगे। इसका मतलब यह है कि पार्टी के संगठनात्मक और नीतिगत मामलों में पार्टी के हित को ध्यान में रखते हुए खड़गे के फैसले को माना जाएगा। जिसमें गांधी परिवार का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होगा, जिससे पार्टी में बदलाव के जो उम्मीदें हैं वह खरी उतर सकती हैं।
राहुल गांधी ने भाजपा को दिया करारा जवाब
जिस तरह से राजनीतिक गलियारे में मल्लिकार्जुन खड़गे का अध्यक्ष पद और गांधी परिवार से उनकी निकटता की चर्चाएं चल रही थीं। उससे यह लग रहा था कि खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद भी शायद ही कोई बदलाव पार्टी में हो। लेकिन राहुल गांधी के इस वक्तव्य ने इन अटकलों को धूल में उड़ा दिया। राहुल गांधी के इस वक्तव्य ने भाजपा को भी करारा जवाब दिया है। जो एक वक्त पर यह कह रही थी कि मल्लिकार्जुन खड़गे तो रबर स्टैंप अध्यक्ष साबित होंगे और कांग्रेस की असली ताकत तो गांधी परिवार के हाथ में ही रहेगी।
अशोक गहलोत व भूपेश बघेल से नहीं की निजी मुलाकात
आपको बता दें कि जब खड़गे अध्यक्ष चुने गए थे तब राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि अब कांग्रेस के सर्वोच्च अधिकारी मल्लिकार्जुन खड़गे ही रहेंगे। मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रति राहुल गांधी की प्रतिबद्धता इसी से नजर आ जाती है कि जब मल्लिकार्जुन खड़गे का शपथ ग्रहण होना था तब भारत जोड़ो यात्रा को विराम देकर वे शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे। खबरें यह भी निकल कर आ रहीं हैं कि कांग्रेस के शीर्ष पद पर तैनात मल्लिकार्जुन खड़गे या पार्टी में किसी भी तरह के संशय का सवाल ना उठे। इसके लिए राहुल गांधी ने अशोक गहलोत या भूपेश बघेल से मुलाकात भी नहीं की हालांकि इस बात का पार्टी के संगठनात्मक मामले में हस्तक्षेप से कोई जुड़ाव नहीं है, फिर भी कई विश्लेषक इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं।
गौरतलब है कि राजस्थान में आए सियासी उठापटक के बाद अशोक गहलोत लगातार गांधी परिवार के साथ कथित खिंचाव को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। अब पार्टी के नए अध्यक्ष खड़गे के आने के बाद गांधी परिवार पूरे देश की राजनीति के पावर सेंटर में है, इसका कोई गलत निहितार्थ विपक्ष और जनता के बीच ना निकले। शायद इसीलिए ही राहुल गांधी ने पार्टी के शीर्ष नेताओं से निजी मुलाकात करने से परहेज किया है।