Presidential Election Result : राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू ने जीत की दर्ज, देश की 15वीं राष्ट्रपति होगी

आज देश को अपना 15 वां राष्ट्रपति मिल गया है। NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति के इस चुनाव में जीत हासिल कर ली…

द्रौपदी मुर्मू 2 | Sach Bedhadak

आज देश को अपना 15 वां राष्ट्रपति मिल गया है। NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति के इस चुनाव में जीत हासिल कर ली है। अब आने वाली 24 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। इस चुनाव के पहले और दूसरे रूझानों में द्रौपदी ने भारी बढ़त बना ली थी। उन्हें दोनों रूझानों में कुल 1349 वोट मिले थे। उन्हें दूसरे रूझान में 809 वोट मिले। वहीं वोट वैल्यू 4,83,299 रही। तो वहीं यशवंत सिन्हा को इस रूझान में 44,276 वोट वैल्यू मिले। यानि दनों रूझानों में उन्हें कुल 1,89,876 वोट वैल्यू मिले। उन्हें दूसरे रूझान में 329 वोट मिले, पहले औऱ दूसरे रूझान को मिलाकर अब तक उन्हें 537 वोट मिले। कुल वैध वोटों की गिनती 1886 रही। इससे पहले के रूझान में 15 सांसदों के वोट अमान्य करार दिए गए। मुर्मू को कुल 72% वोट मिले। द्रौपदी मुर्मू को कुल 5,77,778 वोट मिले वही यशवंत सिन्हा को 261062 मिले।

मुर्मू अब देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन गई हैं। द्रौपदी मुर्मू ने देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होकर अपने समाज और गांव का सिर गर्व से ऊंचा किया है। लेकिन क्या आपको पता है इस एक आदिवासी समुदाय से होने के बावजूद उन्होंने राजनीति में इतनी मजबूत पहचान कैसे बनाई। इसके लिए आपको उनके जीवन और राजनीतिक करियर के बारे में जानना होगा।

ओडिशा के छोटे से गांव से देश की राष्ट्रपति तक का सफर

द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था, द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की संथाल परिवार से आती हैं। उनका परिवार बहुत गरीब था, लिहाजा उनका शुरुआती मकसद सिर्फ छोटी-सी नौकरी करके परिवार पालना था। उनकी नौकरी लग भी गई, लेकिन ससुराल वालों के कहने पर छोड़नी पड़ी। जब उनका मन नहीं लगा तो बच्चों को मुफ्त में पढ़ाना शुरू किया। अपने दो बेटों को हादसे में खोने के बाद उन्होनें 2014 में भी अपने पति को भी खो दिया। जिसके बाद उन्होनें खुद को पूर्ण रूप से समाजसेवा में झोंक दिया।

सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित

वहीं बात करे द्रौपदी मुर्मू के राजनीति करियर की तो उनका सियासी सफर 1997 में शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने पहली बार रायरंगपुर नगर पंचायत के काउंसलर का चुनाव लड़ा और जीत गई। इसके बाद उन्हें 2000 में विधायक का टिकट मिला और वे यह चुनाव भी जीत गई। राजनीति में आने से पहले वह शिक्षक भी रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक चुनी जा चुकी है। वे बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन में ओडिशा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू को ओडिशा विधान सभा ने सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया है। इतना ही नहीं द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रहीं। 

देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल NDA ने बनाया था राष्ट्रपति उम्मीदवार

राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया था। राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा था कि पहली बार किसी महिला आदिवासी प्रत्याशी को वरीयता दी गई है।

कई विपक्षी दलों का मिला समर्थन

18 जुलाई को हुए राष्ट्रपति चुनाव के मतदान में NDA के साथ-साथ ही कई विपक्षी दलों ने मुर्मू को वोट दिया था। इनमें झारखंड की झामुमो, ओडिशा की बीजू दल, शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी, उद्धव ठाकरे खेमे की शिवसेना, आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ YSR कांग्रेस, TDP यानी तेलगू देशम पार्टी, बसपा, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़, पीडीएफ शामिल हैं। इन्होंने पहले ही मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी।

विपक्षी दलों के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर मुर्मू की जीत की आसान

इसके अलावा कई विपक्षी दलों के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान किया था। इनमें गुजरात और झारखंड में NCP विधायक, हरियाणा और ओडिशा में भी कांग्रेस विधायकों ने बागी रुख दिखाते हुए मुर्मू को वोट दिया था। वहीं असम में भी करीब 20 से ज्यादा विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इसके अलावा सपा के भी 4 विधायकों ने मुर्मू के समर्थन में मतदान किया था।  इस हिसाब से द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में करीब 27 राजनीतिक दल थे। वहीं विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के पक्ष में सिर्फ 14 दलों का समर्थन था। अब निर्वाचित होने पर 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला बन गई हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *