MiG-29 : श्रीनगर। वायुसेना ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर लड़ाकू विमान मिग-29 के स्क्वाड्रन को तैनात किया है। डिफेंडर ऑफ द नॉर्थ कहा जाने वाला यह स्क्वाड्रन मिग-21 फाइटर जेट के स्क्वाड्रन की जगह लेगा। वायु सेना ने हाल ही अपने अवंतीपोरा बेस पर तेजस एमके1 को भी तैनात किया था। वायुसेना जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अपने विमानों को पहले भी ले जाती रहती है, ताकि उन्हें हिमालय की घाटियों में उड़ान भरने का अनुभव मिलता रहे।
श्रीनगर एयरबेस चीन और पाकिस्तान के करीब है, इसलिए जम्मू कश्मीर में तेजस एमके 1 के बाद मिग-29 की तैनाती को रणनीतिक रूप से बहुत अहम मानी जा रही है। ये विमान पाकिस्तान और चीन से किसी भी संभावित खतरे से निपटने में सक्षम हैं क्योंकि ये किसी भी खतरे की स्थिति में बहुत कम समय में प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। वायुसेना की 2025 तक सभी मिग-21 फाइटर जेट स्क्वाड्रन को सेवा से हटाने की योजना है। श्रीनगर में इनकी जगह मिग-29 ले रहे हैं।
लंबी दूरी की मिसाइलों से हैं लैस
मिग-29 को को अपग्रेड किया गया है। इसके बाद इनको बहुत लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलों से भी लैस किया गया है। इसके साथ ही इन्हें नाइट विजन, एयर-टु-एयर रिफ्यूलिंग समेत कई नए फीचर्स से लैस किया गया है। अधिकारियों के अनुसार मिग-29 लड़ाकू विमानों को संघर्ष के समय दुश्मन के विमानों की क्षमताओं को जाम करने की क्षमता से भी लैस है।
2020 में लद्दाख सेक्टर में हुए तैनात
मिग-29 इस साल जनवरी में श्रीनगर एयर बेस पर आए थे और लद्दाख सेक्टर के साथ-साथ कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर उड़ान भरी थी। मिग-29 पहला विमान था जिसे 2020 के गलवान संघर्ष के बाद चीन से संभावित खतरे से निपटने के लिए लद्दाख सेक्टर में तैनात किया गया था।
क्यों है मिग-29 अहम?
विशेषज्ञों के अनुसार श्रीनगर घाटी में स्थित है। इसका एलिवेशन मैदानों की तुलना में ज्यादा है। यहां पर तैनात किए जाने वाले फाइटर जेट्स का वेट-टु-थ्रस्ट रेश्यो ज्यादा होना चाहिए। रिस्पॉन्स टाइम कम होना चाहिए और उसमें लंबी दूरी की मिसाइलें होनी चाहिए। मिग-29 इन सभी जरूरतों को पूरा करता है।अपग्रेड किए गए मिग-29 को रात में नाइट विजन गॉगल्स की मदद से उड़ाया जा सकता है। ये आसमान में दूसरे एयरक्राफ्ट से फ्यूल ले सकता है, जिससे यह लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है।
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