आज भारतीय वायुसेना का मिग-21 लड़ाकू विमान राजस्थान के हनुमानगढ़ के पास दुर्घटनाग्रस्त (MIG-21 Crash) हो गया है। विमान ने सूरतगढ़ से उड़ान भरी थी। इस हादसे में 3 लोगों की मौत हो गई हैस, तीनों क्षेत्रीय नागरिक महिलाएं हैं, लेकिन पायलट सुरक्षित है। लगातार दुर्घटनाग्रस्त हो रहे MIG-21 विमानों को लेकर एक बड़ा सवाल उठता है आखिर क्यों ये क्रैश होते हैं, य़ही नहीं लगातार हादसे होने के चलते वायुसेना ने पिछले साल एक बड़ा फैसला लिया था कि अब MIG-21 विमानों को सैन्य बेड़े से बाहर किया जाएगा। साल के अब 30 सितंबर तक मिग-21 बाइसन विमान के एक और स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया जाएगा औऱ 2025 तक बाकी बचे 3 विमान भी सैन्य बेड़े से हटा दिए जाएंगे।
लगातार हो रहीं MIG-21 Crash की घटनाएं
बीते साल 29 जुलाई 2022 को MIG-21 विमान राजस्थान के बाड़मेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में दो पायलट शहीद हो गए थे। इन सबके बीच वायुसेना ने फैसला किया था विमान भी सैन्य बेड़े से हटा दिए जाएंगे।
इससे पहले भी कई MIG-21 विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें आई हैं। साल एक आंकड़े के मुताबिक पिछले 6 दशकों में MIG-21 एयरक्राफ्ट से जुड़ी करीब 400 घटनाएं हुई हैं। जिसमें 200 से अधिक पायलटों की जान चली गई। इसके बाद 2021 तक यह आंकड़ा 292 के पार चला गया। इसलिए यहां ये जानना बेहद जरूरी हो गया है की आखिर वायुसेना के ये एयरक्राफ्ट लगातार दुर्घटना के शिकार क्यों हो रहे हैं।
60 के दशक में रूस से खरीदा गए थे MIG-21 विमान
मिग-21 विमान को साल 1963 में रूस से भारतीय वायु सेना ने खरीदा था। वायुसेना को शीत युद्ध के दौरान अपनी युद्धक क्षमता मजबूत करने के लिए इस एयरक्राफ्ट के 874 विमानों को अपने सैनिक बेड़े में शामिल किया था। इन विमानों की खरीद के बाद उनकी अपग्रेडिंग की प्रक्रिया भी जारी रही। इसके बाद, मिग-21 को अपग्रेड किया गया और मिग-बाइसन सेना में शामिल हुआ।
पिछले 6 दशक में 400 घटनाएं, 200 की मौत
MIG-21 विमानों से जुड़ी जानकारी देते हुए साल 2012 में पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने संसद में कहा था कि रूस से खरीदे गए 872 मिग विमानों में से आधे से ज्यादा दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं। इन हादसों में 171 पायलट, 39 नागरिक और सेवा से जुड़े आठ अन्य लोगों सहित 200 से अधिक लोग अपनी जान गवां चुके हैं।
मिग-21 यानी ‘विडो मेकर’
यही नहीं ये विमान (MIG-21) कुछ पैरामीटर्स पर वायुसेना के लिए बेहद उपयोगी माने जाते हैं। लेकिन लगातार हादसे के शिकार होने के कारण इसे विडो मेकर यानी औरतों को विधवा करने वाला विमान या फिर उड़ता ताबूत कहा जाता है। यहां आपको यह बताना भी जरूरी है कि जिस देश से हमने यह विमान खरीदा था अब उसी देश ने इस विमान का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है। जी हां रूस अब इन विमानों को अपने सैनिक बेड़े से निकाल भी चुका है।
अमेरिका जैसे देशों ने निकाला, भारत में अभी भी उपयोग
वहीं अमेरिका, वियतनाम, बांग्लादेश, अफगानिस्तान यहां तक कि पाकिस्तान भी इन विमानों का इस्तेमाल अब नहीं करता। लेकिन भारत में अभी भी यह विमान इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसलिए यहां सवाल ये भी उठता है कि आखिर क्यों इतने हादसे पेश होने के बाद भी भारतीय वायुसेना इन विमानों का इस्तेमाल क्यों कर रही है।
इंडिया स्पेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना धीरे-धीरे इन विमानों का इस्तेमाल करना बंद कर देगी। इसमें एक औऱ खुलासा यह हुआ कि साल 1960 में भारतीय बेड़े में शामिल हुए MIG-21 विमानों ने 90 के दशक में ही अपना रिटायरमेंट पीरियड पूरा कर लिया था। इसके बावजूद इन विमानों को अपग्रेड कर चलाया जा रहा है।
वायुसेना के पास तकनीकी दक्ष विमानों की कमी
एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक लंबे समय से भारतीय वाय़ुसेना के पास तकनीकी तौर पर मजबूत एअरक्राफ्ट का सूखा पड़ा हुआ था। शिनूक, राफेल, बोफोर्स के आने से पहले हमारे पास MIG-21 का ही विकल्प था। हालांकि अभी भी हमारे पास शिनूक, राफेल, बोफोर्स उतनी तादाद में नहीं हैं कि एक प्रशिक्षण उड़ान या फिर युद्ध में सिर्फ उन्हें इस्तेमाल किया जा सके। इसलिए वायुसेना को MIG-21 विमानों से ही काम चलाना पड़ता है।
वहीं मिग विमानों को उड़ाने वाले पायलटों की अक्सर ये शिकायत रहती है कि ये विमान बहुत तेजी से लैंड करते हैं। कॉकपिट की खिड़कियों का डिजाइन ऐसा रहता है कि पायलट रनवे को ठीक से देख नहीं पाते। दूसरी तरफ सिर्फ एक इंडन वाला विमान होने के चलते यह विमान हमेशा खतरे में रहता है।
बता दें कि कई सालों से लगातार मिग-21 के साथ पेश हो रहे हादसों के बाद ये बड़ा सवाल खड़ा हो रहा था कि इतनी दुर्घटनाएं होने के बावजूद वायुसेना इन विमानों का प्रयोग क्यों कर रहा है? लेकिन अब इन विमानों को जल्द ही रिटायर कर दिया जाएगा।
तेजस के शामिल होने में देरी के चलते मजबूरी में करना पड़ा था इस्तेमाल
29 जुलाई 2022 के बाड़मेर हादसे के बाद वायुसेना ने फैसला ले लिया था कि अब इन विमानों के सैन्य बेड़े से बाहर कर दिया जाएगा। 30 सितंबर 2022 तक मिग-21 बाइसन विमान के एक और स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया गया है औऱ 2025 तक बाकी बचे 3 विमान भी सैन्य बेड़े से हटा दिए जाएंगे। वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर एयरबेस से बाहर स्थित 51 स्क्वाड्रन को 30 सितंबर को नंबर प्लेट किया जा रहा है। यानी उसे हटाया जा रहा है। इसके बाद विमानों के केवल 3 स्क्वाड्रन रह जाएंगे, जिन्हें साल 2025 तक हटा दिय़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि अब हर साल इन विमानों में से हर एक पर एक स्क्वाड्रन की नंबर प्लेट लगा दी जाएगी। इसके अलावा उन्होंने बताया कि नंबर प्लेटेड स्क्वाड्रन को भविष्य में अधिक सक्षम विमान के साथ जल्द ही सक्रिय कर दिया जाएगा।
उन्होंने यह भी बताया कि मिग-21 को पहुत पहले ही हटा दिया जाना था, लेकिन LCA तेजस विमान को शामिल करने में देरी की वजह से भारतीय वायुसेना को इन विमानों का ही इस्तेमाल ही करना पड़ा था।