गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले ही भाजपा ने बड़ा दांव चल दिया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की घोषणा कर दी है। भूपेंद्र पटेल ने इस संहिता को लागू करने के लिए एक समिति गठित करने का फैसला कर लिया है। आज भूपेंद्र पटेल की कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसके लिए समिति का गठन हाईकोर्ट के जस्टिस की अध्यक्षता में किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम रुपाला ने जानकारी देते हुए कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल कैबिनेट की मीटिंग हुई। जिसमें यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी कि समान नागरिक संहिता के लिए समिति बनाने का फैसला हुआ। अब इस समिति में शामिल किए जाने वाले लोगों के नाम का फैसला भी जल्द किया जाएगा। रुपाला ने कहा कि गुजरात में यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से यहां की जनता को समान अधिकार प्राप्त होंगे। जिससे इस देश को आगे बढ़ने का एक सुअवसर मिलेगा। पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाने वाली इस समिति में कम से कम 4 सदस्य होंगे इनके नामों का फैसला भी जल्द किया जाएगा।
गुजरात के लोगों को मिलेंगे समान अधिकार
यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने के बाद से अब गुजरात के रहने वाले सभी लोगों पर समान नागरिक अधिकार लागू होंगे। चाहे वह किसी भी धर्म या जाति के हो इस कानून से शादी- विवाह से लेकर संपत्ति बंटवारे, तलाक तक के सभी नियम-कानून एक समान होंगे। बता दें कि भारत में लंबे समय से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा हो रही है। लेकिन एक बड़ा वर्ग इस कोड के विरोध में है। इसलिए इसे पूरे देश में लागू नहीं किया जा सका है। लेकिन गुजरात सरकार के इस फैसले को लेने के बाद यह संभावना जताई गई है कि जल्द ही इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।
धर्म विशेष का शुरूआत से है विरोध
लेकिन इसे लागू करने के लिए इसके रास्ते में आने वाली सभी अड़चनों का भी सामना केंद्र सरकार को करना होगा। एक विशेष वर्ग के लोगों में भी इस यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर काफी विरोध है उनका कहना है कि यह कोर्ट उनके पर्सनल लॉ में दखलअंदाजी करेगा। जबकि फिलहाल पूरे देश में पर्सनल लॉ लागू है। बता दें कि देश में अलग-अलग धर्म के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ है, जैसे मुस्लिम लोगों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ हिंदुओं के लिए अलग कानून है। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के बाद हर धर्म के लोग एक ही कानून के दायरे में आएंगे।
इसका इस फायदा कोर्ट को पहुंच सकता है। क्योंकि अलग-अलग धर्मों के मामलों को निपटाने के लिए उनके मुताबिक काम करना पड़ता है। जिससे न्याय देने में भी काफी समस्याएं आती हैं। लेकिन अब इस कोर्ट के आने के बाद से ऐसे समस्याएं नहीं आएंगी और कोर्ट में कई सालों से पेंडिंग पड़े मामलों का निपटारा भी हो सकेगा।
इसलिए है आपत्ति
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आपत्ति जताई है कि यह सभी धर्मों पर हिंदू कानून को अपने जैसा है। बोर्ड का कहना है कि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया तो इससे उनके मानवाधिकारों का हनन होगा। इस कानून के मुताबिक मुसलमानों को तीन शादियां करने का अधिकार है, लेकिन इस कानून के आने के बाद से एकल विवाह में बनने को प्रतिबद्ध होंगे, जो कि पर्सनल लॉ के खिलाफ है। वह शरीयत के हिसाब से अपनी संपत्ति का बंटवारा भी नहीं कर सकेंगे। क्योंकि उन्हें यूनिफॉर्म सिविल कोड का पालन करना होगा। इसलिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शुरुआत से ही इस कानून का विरोध किया है।
चुनाव से ऐन वक्त पहले ही भाजपा ने यह दांव चल तो दिया है लेकिन अब कहीं से धर्म विशेष का विरोध भी झेलने को तैयार हो जाना चाहिए, हालांकि कई लोग इसलके पक्ष में भी हैं लेकिन इतने बड़े फैसले को चुनाव से ठीक पहले लेना पार्टी के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इससे पार्टी का अल्पसंख्यक वोट छिटक सकता है। जिसका फायदा कांग्रेस व आप जैसी पार्टियां उठाएंगी।