Indian Navy New Flag : आखिरकार 88 साल बाद देश की नौसेना को उसका ‘भारतीय’ ध्वज मिल गया है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वदेशी युद्धपोत और एअरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत (INS Vikrant) को नौसेना को सौंप दिया। साथ ही उनके ‘स्वदेशी’ ध्वज का अनावरण किया। हम इसे स्वदेशी क्यों कह रहे हैं उसके लिए आपको नौसेना और इसके ध्वज के इतिहास जानना होगा।
भारतीय नौसेना (Indian Navy) का इतिहास तो बेहद पुराना है। लेकिन इसे औपचारिकता अंग्रेजों के जमाने में ही मिली। साल 1934 में रॉयल इंडियन मरीन नामक इस सेना को रॉयल इंडियन नेवी का नाम मिला। 1934 में द्वितीय विश्व युद्ध के आगे बढ़ने पर, रॉयल इंडियन नेवी में आठ युद्धपोत शामिल किए गए। युद्ध के अंत तक इनकी संख्या् 117 युद्ध पोतों तक बढ़ी थी और 30,000 कर्मियों को लाया गया था जिन्होंन विभिन्न कार्रवाईयां करते हुए देखा गया था। यह भी बता दें कि इसकी सेवाओं की मान्यता में 1935 में किंग्स कलर प्रस्तुत किए गए। देश की आजादी के पहले तक इसे अंग्रेजों के द्वारा ही संचालित किया गया था। उनका ही ध्वज नौसेना की पहचान बना था।
26 जनवरी 1950 को ‘भारतीय’ हुई नौसेना
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया था। देश के पहले गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को उपसर्ग ‘रॉयल’ हटा दिया गया। भारतीय नौसेना के प्रथम कमांडर इन चीफ एडमिरल सर एडवर्ड पैरी, केसीबी ने प्रशासन 1951 में एडमिरल सर मार्क पिजी, केबीई, सीबी, डीएसओ को सौंप दिया था। एडमिरल पिजी भी 1955 में नौसेना के पहले चीफ बन गए, और उनके बाद वाइस एडमिरल एसएच कारलिल, सीबी, डीएसओ आए थे।
22 अप्रैल 1958 को वाइस एडमिरल आरडी कटारी ने नौसेना के प्रथम भारतीय चीफ के रूप में पद ग्रहण किया।हमारी नौसेना तो स्वदेशी हो गई थी लेकिन उसका ध्वज (Indian Navy Flag) अंग्रेजों का ही रहा। लेकिन आज का दिन देश के इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत में ही डिजाइन किया हुआ ध्वज नौसेना को सौंप दिया।
Indian Navy New Flag में क्या है खास
नौसेना के इस ध्वज को छत्रपति शिवाजी महाराज से जोड़कर देखा जा रहा है। क्योंकि इतिहासकारों के मुताबिक भारतीय नौसेना की शुरुआत तो शिवाजी ने ही कर दी थी। उनके सेना में भी एक नौसेनिक बेड़ा था। इस ध्वज में बाएं कोने में भारतीय तिरंगा है। तो दाएं हिस्से के बीचोंबीच नौसेना का ध्येय वाक्य लिखा हुआ नीले रंग का अष्टकोण है। ये नीला अष्टकोण शिवाजी महाराज की मुहर से प्रेरणा लेता हुआ दर्शाया गया है।
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