नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार भारत की आबादी बढ़कर 142.86 करोड़ हो गई है और वह चीन को पीछे छोड़ दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या ‘डैशबोर्ड’ (मंच) के अनुसार, चीन की आबादी 142.57 करोड़ है। वैश्विक स्तर पर आबादी के आंकड़े 1950 से एकत्र किए जा रहे हैं और पहली बार भारत सबसे अधिक आबादी वाले देशों की संयुक्त राष्ट्र सूची में शीर्ष पर है।
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देश की 25.4 करोड़ आबादी युवा (15 से 24 वर्ष के आयुवर्ग) है। संयुक्त राष्ट्र की विश्व जनसंख्या संभावना 2022 के अनुसार भारत की आबादी 2050 तक बढ़कर 166.8 करोड़ होने की उम्मीद है, जबकि चीन की जनसंख्या घटकर 131.7 करोड़ हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक जनसंख्या 1950 के बाद सबसे धीमी दर से बढ़ रही है, जो 2020 में एक प्रतिशत से कम हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 15 नवंबर को वैश्विक आबादी के आठ अरब तक पहुंचने का अनुमान है।
सर्वाधिक आबादी
भारत 142.86 करोड़
चीन 142.57 करोड
भारत: आयु वर्गवार आबादी
25 प्रतिशत जनसंख्या
0-14 (वर्ष) आयुवर्ग
18 प्रतिशत 10 से
19 साल आयुवर्ग
26 प्रतिशत 10 से 24 आयुवर्ग
68 प्रतिशत 15 से 64 आयुवर्ग
07 प्रतिशत आबादी 65
वर्ष से अधिक आयु
केरल-पंजाब में बुजुर्ग अधिक
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत की जनसांख्यिकी एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न है। केरल और पंजाब में बुजुर्ग आबादी अधिक है, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश में युवा आबादी अधिक है।
युवा आबादी… नवाचार, नई सोच व समाधान का हो सकती है स्रोत
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की भारत की प्रतिनिधि और भूटान की कंट्री डायरेक्टर एं ड्रिया वोज्नार ने कहा, भारत के 1.4 अरब लोगों को 1.4 अरब अवसरों के रूप में देखा जाना चाहिए। देश की 25.4 करोड़ आबादी युवा (15 से 24 वर्ष के आयुवर्ग) है… यह नवाचार, नई सोच और स्थायी समाधान का स्रोत हो सकती है। वोज्नार ने कहा कि महिलाओं और लड़कियों को यौन तथा प्रजनन संबंधी नीतियों तथा कार्यक्रमों का केंद्र होना चाहिए। सभी लोगों के अधिकारों, विकल्पों और समान मूल्यों का सही मायने में सम्मान करके ही हम भविष्य की अनंत संभावनाओं का रास्ता खोल पाएंगे।
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3 दशक बाद घटना शुरू हो सकती है आबादी
संयुक्त राष्ट्र का पूर्वानुमान है कि भारत की जनसंख्या अगले तीन दशक तक बढ़ती रह सकती है और उसके बाद यह घटना शुरू होगी। संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या पूर्वानुमान-2022 के अनुसार 2050 तक भारत की जनसंख्या 166.8 करोड़ पहुंच सकती है, वहीं चीन की आबादी घटकर 131.7 करोड़ हो सकती है।
बढ़ती आबादी खतरे की घंटी नहीं!
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफए) ने अपनी ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट’ 2023 में कहा है, हालांकि, बढ़ती आबादी से चिंता नहीं होनी चाहिए या खतरे की घंटी नहीं बजनी चाहिए। इसके बजाय, उन्हें प्रगति, विकास और आकांक्षाओं के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए। भारतीयों की एक बड़ी आबादी जनसंख्या को लेकर चितिं त है। सर्वेक्षण में शामिल करीब 63 प्रतिशत लोगों ने जनसंख्या में बदलाव के संदर्भ में विभिन्न आर्थिक मुद्दों को अपनी चिंता का प्रमुख कारण बताया है। सर्वेक्षण में भारत, ब्राजील, मिस्र, फ्रांस, हंगरी, जापान, नाइजीरिया और अमेरिका के आठ देशों में 7,797 लोगों को शामिल किया गया था।