लखनऊ। प्रेम प्रसंग के दौरान शारीरिक संबंध बनाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने माना कि प्यार में बना संबंध रेप की श्रेणी में नहीं आता है। शादी से मना करने पर प्रेमिका ने केस दर्ज कराया था। न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच शुक्रवार को निचली कोर्ट में चल रही आपराधिक कार्रवाई को रद्द करते हुए युवक की जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है।
दरअसल, यूपी में संत कबीर नगर जिले के महिला थाने में एक लड़की ने अपने प्रेमी के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था। लड़की ने आरोप लगाया था कि गोरखपुर में साल 2008 में बहन की शादी के दौरान उसकी संतकबीर नगर के जियाउल्ला से मुलाकात हुई थी। कुछ ही दिनों में दोस्ती प्यार में तब्दिल हो गई। इसके बाद दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने। लड़की ने आरोप लगाया था कि उसके परिजनों ने प्रेमी को व्यापार करने के लिए सऊदी अरब भी भेजा। जहां से वापस लौटने के बाद उसने शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया। थाने में मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
इस पर लड़के ने जमानत के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर सुनवाई करते हुए बुधवार को न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रेम प्रसंग के वक्त बने शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है, भले ही शादी से इनकार किसी भी वजह से किया गया हो। साथ ही हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जियाउल्लाह के खिलाफ दाखिल पुलिस की चार्जशीट को रद्द कर दिया और उसकी जमानत याचिका मंजूर कर ली।
कोर्ट में लड़के की वकील की दलील
हाईकोर्ट में सुनवाई को बाद लड़के के वकील ने जज को बताया कि जिस वक्त दोनों के बीच शारीरिक संबंध बने उस वक्त लड़की बालिग थी। दोनों ने आपसी सहमति से ही शारीरिक संबंध बनाए थे। ऐसे में शादी से इनकार करने पर मुकदमा दर्ज कराया जाना गलत है। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्क सुने और पुलिस की चार्जशीट को खारिज करते हुए लड़के के पक्ष में फैसला सुनाया।
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