Parliament Security Breach: संसद की सुरक्षा में चूक का मामला सामने आने के बाद अब संसद की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। संसद भवन में गुरुवार को मकर द्वार से सिर्फ सांसदों को ही प्रवेश दिया गया। इसके अलावा संसद भवन में प्रवेश करने वाले सभी लोगों के जूते उतरवाकर गहनता से जांच की गई। माना जा रहा है कि अब संसद की दर्शक दीर्घा में कांच लगेगा, ताकि कल जैसी घटना फिर से ना दोहराई जा सकें।
इसके अलावा संसद के अंदर सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाएगी और एंट्री गेट पर बॉडी स्कैन मशीन लगाई जाएगी। इधर, संसद की सुरक्षा चूक मामले में 8 सुरक्षाकर्मी को सस्पेंड कर दिया गया है। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि मल्टी लेयर सिक्योरिटी के बावजूद भी आखिर सुरक्षा में चूक कैसे हुई?
दरअसल, संसद भवन पर आतंकवादी हमले की 22वीं बरसी के दिन बुधवार को संसद के भीतर लोकसभा में सत्र के दौरान उस वक्त सुरक्षा व्यवस्था में चूक सामने आई थी, जब दर्शक दीर्घा में बैठे दो शख्स अचानक लोकसभा में कूद गए थे। आरोपी सागर स्पीकर की दौड़ा तो मनोरंज ने जूते में छिपी स्मोक कैन सदन में फेंक दी। जिससे लोकसभा के सदन में धुंआ ही धुंआ हो गया। इससे अफरा-तफरी का माहौल हो गया।
हालांकि, पुलिस ने दोनों आरोपियों को मौके पर ही दबोच लिया था। जांच में सामने आया है कि ये युवक बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा की सिफारिश पर पास बनवाकर दर्शक दीर्घा तक पहुंचे थे। हालांकि, इस घटना के बाद स्पीकर ओम बिरला ने विजिट पास पर रोक लगा दी है।
कैसे बनाया जाता है विजिटर पास ?
लोकसभा हैंडबुक के मुताबिक कोई भी व्यक्ति संसद की कार्यवाही देख सकता है, इसके लिए सदन में दर्शक दीर्घा बनाई गई है। लेकिन संसद के अंदर जाने के लिए विजिटर पास जरूरी होता है, जो सांसद की सिफारिश पर ही संसद सचिवालय की ओर से बनवाए जाते हैं। पास जारी होने के बाद उस व्यक्ति की इंटेलिजेंस जांच होती है। पास के लिए विजिट की तारीख से पहले किसी भी कार्य दिवस में दोपहर 4 बजे तक प्रपत्र में संसद सदस्यों को आवेदन करना होता है। सदस्यों को विजिटर कार्ड के लिए आवेदन पत्र पर एक प्रमाण पत्र देना होता है। विजिटर पास का अनुरोध करने वाले सांसदों को एक घोषणा पत्र देना होता है।
सेंट्रलाइज्ड पास इशू सेल में लोकसभा सदस्यों के आवेदन-आग्रह पर विजिट से एक दिन पहले पब्लिक गैलरी के लिए आगंतुक कार्ड जारी किए जाते हैं। उपलब्ध सीटों के आधार पर कुछ ही घंटे के लिए पास दिया जाता है। आगंतुकों के कार्ड के लिए जो आवेदन दिया जाता है, उसमें एक सदस्य अपने चार से ज्यादा मेहमानों का नाम नहीं दे सकता है। 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दर्शक दीर्घा में प्रवेश नहीं दिया जाता है। जब किसी सदस्य को उसी दिन के पास की जरूरत होती है तो वो अपने मेहमानों को रिसेप्शन कार्यालय या एमपी वेटिंग रूम सेंट्रलाइज्ड पास इश्यू सेल में बैठा सकता है।
दर्शक दीर्घा तक कैसे पहुंचते है विजिटर्स?
लोकसभा की बालकनी में बैठकर विजिटर्स संसद की कार्यवाही को देख सकते है, इस जगह को दर्शक दीर्घा कहा जाता है। यहां तक पहुंचने से पहले विजिटर्स को कई स्तर की सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है। डोरफ्रेम मेटल डिटेक्टर से गुजरने से लेकर बॉडी लैंग्वेज तक पढ़ी जाती है। सुरक्षा गेट पर आपको सामान जमा करना होता है और एक टोकन दिया जाता है मोबाइल, लैपटॉप ही नहीं एक सिक्का तक संसद में ले जाने की परमिशन नहीं होती है।
सबसे पहले संसद के गेट पर फोन व अन्य गैजेट्स जमा किए जाते हैं, फिर अंदर एंट्री मिलती है। यहां पर भी दो लेयर की चेकिंग होती है। मशीन के अलावा मैन्युअल स्तर पर भी जांच होती है। अगर आप जूतों में कोई सामान छिपाकर लाते हैं तो डोरफ्रेम मेटल डिटेक्टर मशीन पकड़ लेती है। दर्शक दीर्घा में भी बेंच के दोनों तरफ सादे कपड़ों में बैठे सुरक्षाकर्मी हर हरकत पर पैनी नजर रखते हैं।
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