नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि सरकार दीपावली तक देश में नई सहकारी नीति लेकर आएगी जो आने वाले 25 वर्षों के लिए सहकारिता का मानचित्र प्रस्तुत करेगी। लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर नारेबाजी कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच बहु राज्य सहकारी समितियां संशोधन विधेयक, 2022 पर हुई संक्षिप्त चर्चा का जवाब देते हुए सहकारिता मंत्री अमित शाह ने यह बात कही। शाह के जवाब के बाद सदन ने शोर-शराबे के बीच ही ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले शाह ने कहा कि वर्ष 2003 के बाद से देश में कोई सहकारी नीति नहीं आई।
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विजयादशमी या ज्यादा से ज्यादा दीपावली तक हम नई सहकारी नीति लेकर आएंगे। चर्चा के जवाब में सहकारिता मंत्री ने कहा, बहु राज्यीय सहकारी संघ केंद्र सरकार का विषय है… इसमें जवाबदेही, पारदर्शिता और मुनाफा बढ़े, इसलिए यह विधेयक लाया गया है। इस विधयक के पारित होने के साथ सहकारिता आंदोलन में बड़े युग का परिवर्तन होगा। इस विधेयक को 20 दिसंबर, 2022 को संसद की एक संयुक्त समिति के पास भेजा गया था और समिति ने विधेयक के अधिकांश प्रावधानों पर सहमति जताते हुए 15 मार्च, 2023 को अपनी रिपोर्ट पेश की।
राष्ट्रीय डाटा बेस का 95 प्रतिशत काम पूरा
सहकारिता मंत्री ने यह भी कहा कि देश में सहकारी संस्थानों से जुड़ा कोई एकीकृत डाटाबेस नहीं था, ऐसे में मौजूदा संस्थानों और जहां पर सहकारी संस्थान नहीं है, उनका एक राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने का काम शुरू हो गया है। इसका 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है और विजयादशमी के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों इसे ऑनलाइन जारी किया जाएगा।
पांच करोड़ से अधिक मनरेगा कार्ड रद्द
नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में बताया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत 2022-23 में पांच करोड़ से अधिक जॉब कार्ड रद्द किए गए, जो 2021-22 में हटाए गए रोजगार कार्डों की संख्या की तुलना में 247 प्रतिशत अधिक हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि 2021-22 में 1,49,51,247 मनरेगा रोजगार कार्डहटा दिए गए थे, जबकि 2022-23 में 5,18,91,168 रोजगार कार्ड रद्द किए गए। पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उन राज्यों में शामिल हैं, जहां सबसे ज्यादा कार्ड रद्द किए गए हैं।
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छत्तीसगढ़: अनु. जनजाति विधेयक पारित
नई दिल्ली। राज्यसभा ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ में धनुहार, धनुवार, किसान, सौंरा और बिंझिया समुदायों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव वाले संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी। राज्यसभा में इस विधेयक को चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया। चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री मुंडा ने कहा कि संशोधन विधेयक लाया गया है इनमें 12 आदिवासी जातियां और इनकी संख्या 72 हजार के करीब है।