प्रख्यात लेखक और स्तंभकार सलमान रुश्दी ( Salman Rushdie ) पर हुए हमले की आंच अभी बुझी भी नहीं थी कि कट्टरपंथियों ने राइटर औऱ एक्टर जेके राउलिंग ( J.K. Raowling ) और डच सांसद गिर्ट विल्डर्स ( Geert Wilders ) का सिर कलम करने की धमकी दे दी है। उदयपुर में हुआ कन्हैयालाल हत्या कांड ( Udaipur Tailor Murder ) इस्लामी चरमपंथियों की उन्मादता का एक उदाहरण भर है। वे किस हद तक उन्मादी हो सकते हैं, इसका जवाब तो सिर्फ उनकी की गई क्रूरता ही दिखा सकती है। हाल ही में सलमान रुश्दी पर इस्लामी चरमपंथी हादी मतार ने एक कार्यक्रम में मंच पर भाषण देने के लिए जाते समय चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया था। आरोपी ने सलमान रुश्दी की गर्दन पर ताबड़तोड़ वार किए थे वो एक तरह से उनका सिर कलम करने के इरादे से आया मालूम पड़ रहा था।
यह हमला इतना भयावह था कि सलमान ( Salman Rushdie ) की एक आंख पर चाकू के गहरे घाव हुए, उनका लिवर डैमेज हो गया औऱ गर्दन, हाथ की कई नसें कट गई। इस तरह का हमला कोई प्रशिक्षित आतंकी ही कर सकता है, इसका अर्थ ये हुआ कि आरोपी इस तरह के हमले की ट्रेनिंग ले रहा होगा। जो कि एक गंभीर जांच का विषय है। वहीं अभी तक हुई जांच में यह तो साफ हो गया है कि 24 साल का यह आरोपी हादी मतार ईरान के कट्टरपंथियों से प्रभावित था, इस्लाम के तथाकथित अपमान के खिलाफ उसकी सोच को बढ़ावा दिया सलमान रुश्दी की लिखी किताबों ने, भले ही आरोपी ने यह किताब न पढ़ी हो लेकिन इस किताब के खिलाफ जो एजेंडे चलाए गए थे, बहुत हद तक संभव है कि वो इनके प्रभाव में आया हो।
उधर रुश्दी पर हमला, इधर लोन वुल्फ अटैक की फिराक में रहा आतंकी गिरफ्तार
गौरतलब है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामनेई ने ही सलमान रुश्दी ( Salman Rushdie ) की किताब द सैटेनिक वर्सेस ( Satanic Verses ) के खिलाफ फतवा जारी किया था। सलमान रुश्दी को जान से मारने के तो कई फतवे जारी किए गए थे। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी तो नहीं होनी चाहिए कि सलमान की इस किताब पर बैन लगाने वाला पहला देश भारत ही था। भारतीय मूल का लेखक होने के बावजूद सलमान रूश्दी ( Salman Rushdie ) की किताब पर राजीव गांधी ( Rajiv Gandhi ) के प्रधानमंत्रित्व काल में प्रतिबंधित किया गया था। यहां पर भी इस्लामी ‘भावनाओं’ को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया। सलमान रुश्दी अपने खिलाफ जारी फतवे से बचने के लिए कई सालों तक ब्रिटेन में छिपकर रहे, इसके बाद वे अमेरिका चले गए। लेकिन वाशिंगटन पोस्ट ( Washington Post ) पर उनके लेख छपते रहे।
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ऑनलाइन ट्रेनिंग से सीखा लोन वुल्फ अटैक
एक और बात यहां ध्यान देने वाली है कि एक तरफ जहां न्यूयार्क में सलमान रुश्दी ( Salman Rushdie ) पर यह विभत्स हमला हुआ वहीं न्यूयॉर्क से हजारों किमी दूर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जैश-ए-मोहम्मद ( Jaish-e-Mohammad ) से जुड़े आतंकी मोहम्मद नदीम को गिरफ्तार किया गया। नदीम उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड की तर्ज पर हमला करने की ट्रेनिंग ऑनलाइन ले रहा था। पाकिस्तान में बैठे उसे आका इन सबकी कमान संभाले हुए हैं। उनके इशारों पर नदीम नाच रहा था और अपने नापाक मंसूबों को कामयाब करने की तैयारी कर रहा था। ATS की पूछताछ में सामने आय़ा कि नदीम को लोन वुल्फ अटैक (एक अकेले आंतकी के हमले से काफी ज्यादा लोगों को नुकसान) की तैयारी कर रहा था। नदीम का कनेक्शन सिर्फ यूपी से नहीं था, राजस्थान ( Rajasthan ) समेत कई राज्यों में उसने अपने नेटवर्क बिछा रखा है। अब तक की जांच में एक बात औऱ सामने आई है कि नदीम को इस्लाम के खिलाफ किए जा रहे तथाकथित विरोध की आवाज को अपने लोन वुल्फ अटैक के जरिए बंद करने के फरमान सुनाए गए थे। नदीम पाकिस्तान, बांग्लादेश और यूएई में बैठे इस्लामी चरमपंथियों के संपर्क में था। नदीम ने उदयपुर में हुए कन्हैयालाल ( Udaipur Tailor Murder Case ) और अमरावती में हुए उमेश कोल्हे हत्याकांड ( Amrawati Murder Case ) की भी थाह बटोर रखी थी, वह इन जघन्य वारदातों के आरोपियों को अपना प्रेरणास्रोत मानता था।
कट्टरता से अतिवाद…अतिवाद से आतंकवाद
इससे यह पता चलता है कि इस्लामी चरमपंथी अपने धर्म की सुरक्षा औऱ ‘भावनाओं’ को आहत करने की आड़ में इस तरह के जघन्य अपराधों को दोहराने में जरा भी नहीं हिचकिचाते। गौस मोहम्मद, रियाज अत्तारी, हादी मतार, मोहम्मद नदीम….न जाने और कितने चरमपंथियों के नाम इस लिस्ट शामिल हैं और आगे होने के अंदेशे में हैं। ये कट्टरता ही धर्म की आड़ में अतिवाद को जन्म दे रही है और अतिवाद आतंकवाद को। अब यह अतिवाद देश के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में ही नहीं दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका में भी अपनी पैठ बना चुका है। यहां सलमान रुश्दी जैसे बड़े लेखक औऱ स्तंभकार की जान के पीछे चरमपंथी पड़े हुए हैं तो आम नागरिकों को तो कन्हैया और उमेश कोल्हे जैसे हत्याकांड के डर के साए में रहना कोई मामूली बात ही होनी चाहिए।
यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि इन चरमपंथियों को अपने किए का कोई पछतावा तक नहीं होता, वे बस इस खौफजदा वारदात को अंजाम देकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं, जिस तरह कन्हैयालाल की गर्दन धड़ से अलग करने के बाद आरोपी गौस और रियाज वीडियो तक बनाने में लग गए थे, उन्होंने उमेश की कटी हुई गर्दन के दृश्य दिखाते हुए चाकू लहराते हुए वीडियो बनाए और इसीमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धमकी तक दे दी। इसी तरह सलमान रुश्दी के हमलावर के लिए भी ईरान ने तारीफ के कसीदे पढ़े। ईरान के कट्टरपंथी अखबार काहान के एडिटर इन चीफ ने लिखा कि सलमान रुश्दी पर हमला करने वाले को एक हजार बार सलाम, भगवान के दुश्मन की गर्दन चीरने वाले के हाथों को तो चूम लेना चाहिए। यहां ये बात जानना जरूरी है कि यह बात लिखने वाले एडिटर इन चीफ को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामनेई ने ही नियुक्त किया है। इन सब बातों का लब्बोलुआब यह है कि इस तरह के बेलगाम होते इस्लामी चरमपंथियों को अगर काबू में नहीं किया गया तो ये दूसरे धर्मों के लोगों के लिए तो खतरा है ही बल्कि इस्लाम धर्म के लोगों के लिए भी ये खतरा बन रहे हैं।