नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ने डिजिटल युग में एक और बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार की ओर से लोकसभा में रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट) बिल 2023 (Registration of Births and Deaths (Amendment) Bill) पेश किया है। इस बिल के कानून बनने के बाद बर्थ सर्टिफिकेट को सिंगल डॉक्यूमेंट की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा यानी केवल बर्थ सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कई झंझटों से मुक्ति दिलाएगा। जैसे शिक्षण संस्थानों में प्रवेश, आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मैरिज रजिस्ट्रेशन या फिर सरकारी नियुक्तियां हो…सभी कामों के लिए बर्थ सर्टिफिकेट ‘ऑल इन वन’ डॉक्युमेंट की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, कांग्रेस ने इस बिल का विरोध किया है।
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को लोकसभा में रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट) बिल 2023 पेश किया। इस बिल में जन्म व मृत्यु के डिजिटल रजिस्ट्रेशन के साथ ही देश और प्रदेश स्तर पर जन्म और मृत्यु का डेटाबेस तैयार करने का प्रावधान है। इसकी मदद से बाकी डेटाबेस को अपडेट करने में मदद मिलेगी। अगर ये कानून बनता है तो बिल 1969 के रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ कानून को संशोधित करेगा।
सरकार ने बताया बिल से क्या होगा फायदा?
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का कहना है कि रजिस्टर्ड बर्थ और डेथ के डेटाबेस को अन्य सेवाओं से जुड़े डेटाबेस तैयार करने और अपडेट करने में यूज कर सकते हैं। इसकी मदद से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर, इलेक्टोरल रोल्स, आधार नंबर, राशन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और अन्य सभी नेशनल डेटाबेस को मेंटेन किया जा सकता है। इससे पब्लिक सर्विसेज की डिलिवरी में तेजी आएगी। वहीं, बिल के विरोध में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि प्रस्तावित बिल से निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। उनका कहना है कि बर्थ रजिस्टर कराने के लिए पैरेंट्स का आधार नंबर देना होना है और राज्य को यह डेटा नेशनल डेटाबेस से शेयर करना पड़ेगा।
जानिए, क्यों खास है रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट) बिल?
रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ (अमेंडमेंट) बिल 2023 रजिस्टर्ड जन्म और मृत्यु का राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय डेटाबेस तैयार करने का प्रस्ताव है। इसके कानून बनने के बाद किसी भी शैक्षणिक संस्थान में दाखिले, ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने, मतदाता सूची तैयार करने, केंद्र सरकार, राज्य सरकार में पदों पर नियुक्ति को लेकर जन्म प्रमाणपत्र को एक ही दस्तावेज के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा। बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट में डिजिटल रजिस्ट्रेशन और और इलेक्ट्रॉनिक एग्जीक्यूशन का प्रावधान है।
बिल के जरिए मेडिकल संस्थानों और प्राइवेट प्रैक्टिशनर्स के लिए डेथ सर्टिफिकेट मुक्त में जारी करना अनिवार्य कर दिया गया है। डेथ सर्टिफिकेट के बदले कोई चार्ज नहीं वसूला जा सकेगा। बिल लाने का कारण बताते हुए सरकार ने कहा कि सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए कानून में बदलाव जरूरी था। इस बिल में ये प्रावधान भी है कि बर्थ और डेथ की जानकारी देने वाले को अपना आधार नंबर भी देना होगा।
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