Women Reservation Bill : नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद के निचले सदन (लोकसभा), राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने से संबंधित ऐतिहासिक ‘नारीशक्ति वंदन विधेयक’ लोकसभा में पेश कर दिया। लोकसभा में ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पर आज लंबी बहस की जाएगी। ऐसे में लोकसभा में हंगामे के आसार है। महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में बहस देखने के लिए देशभर से महिला रिप्रजेंटेटिव भी लोकसभा पहुंचेगी। बता दे कि नये संसद भवन में पेश होने वाला यह पहला विधेयक है।
महिला आरक्षण बिल पर सुबह 11 से शाम 6 बजे तक चर्चा होगी। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष विधेयक पर अपनी-अपनी राय रखेंगे। लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी आज विपक्ष की ओर से महिला आरक्षण विधेयक पर बहस का नेतृत्व करेंगी। वहीं, बीजेपी की तरफ से केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, भारती पवार, दीया कुमारी, अपराजिता सारंगी अपनी बात रखेंगी। इसके अलावा अन्य राजनीतिक पार्टियां भी अपनी महिला सांसदों को चर्चा के दौरान बोलने का मौका दे सकती हैं। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में होने वाली चर्चा में भाग लेंगी। चौधरी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल मैडम सोनिया गांधी की बहुत पुरानी सोच है।
नये संसद भवन में पेश होने वाला पहला विधेयक
देश की नई संसद में पहले दिन मंगलवार को महिला आरक्षण से जुड़ा नारीशक्ति वंदन विधेयक पास हुआ। विधि एवं न्याय मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच ‘संविधान (एक सौ अट्ठाईसवां संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया था। लोकसभा और राज्यसभा द्वारा पारित किए जाने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस कानून के प्रभावी होने के बाद लोकसभा में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएगी और महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम में क्या?
केंद्रीय कानून मंत्री मेघवाल ने कहा कि महिलाओं को लोकसभा और अलग-अलग राज्यों की विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके कानून बनने के बाद सदन में महिलाओं की संख्या बढ़ जाएगी। महिला आरक्षण की अवधि फिलहाल 15 साल रखी गई है। इसकी अवधि बढ़ाने का अधिकार लोकसभा के पास होगा। मेघवाल ने आरोप लगाया कि पहले कई बार विधेयक को जानबूझकर पास नहीं होने दिया गया। मौजूदा सत्र में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से भी कम है, 543 सदस्यों की लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 82 है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है।
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