Congress President : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 54 साल तक केंद्र की सत्ता में रही है। कांग्रेस के 7 नेता प्रधानमंत्री रहे हैं। वहीं सोनिया गांधी को कांग्रेस की कमान संभाले अब 20 साल हो चुके हैं। वर्तमान में वे अंतरिम अध्यक्ष का पद संभाल रही हैं। तो वहीं अब कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव भी होने वाला है, जिसमें फिर से राहुल गाँधी को ही अध्यक्ष बनाने की मांग उठाई जा रही है तो दूसरी तरफ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सामने आ रहा है। कुल मिलाकर आजादी के बाद 73 साल ( 2019 से सोनिया गांधी वर्तमान में अध्यक्ष हैं) में करीब 38 साल कांग्रेस का अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार से रहा है। देश आजादी के बाद से कुल 19 नेता अध्यक्ष बने हैं। इसमें नेहरू-गांधी परिवार के पांच लोग अध्यक्ष बने हैं।
ब्रिटिश अधिकारी थे कांग्रेस के पहले अध्यक्ष
कांग्रेस की स्थापना 1885 में 28 दिसंबर को हुई थी, रिटायर्ड ब्रिटिश अधिकारी एओ ह्यूम (A.O. Hume) की कई प्रयासों के बाद कांग्रेस का उदय हुआ। लॉर्ड डफरिन उस वक्त भारत में ब्रिटेन के वायसराय थे। 1885 में कांग्रेस के पहले सेशन में अध्यक्ष वोमेशचंद्र बनर्जी थे। दादा भाई नौरोजी 1886 और 1893 में कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। बदरुद्दीन तैयबजी, जॉर्ज यूल, विलियम वेडरबर्न, सर की उपाधि पाने वाले फिरोज़शाह मेहता, आनंदचार्लू, अल्फ्रेड वेब, राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ बनर्जी, आगा खान के अनुयायी रहमतुल्लाह सयानी, सी शंकरन नायर, बैरिस्टर आनंदमोहन बोस, रोमेशचंद्र दत्त कांग्रेस अध्यक्ष रहे।
आजादी के बाद 73 सालों में गांधी-नेहरू परिवार से 5 नेता रहे अध्यक्ष
एनी बेसेंट पहली महिला कांग्रेस अध्यक्ष बनीं थीं। भारतीय राजनीति में नेहरू परिवार के पूर्वज मोतीलाल नेहरू 1900 से 1919 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष रहे। आजादी के बाद के 73 सालों में करीब 38 साल इस पार्टी का अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य रहा है। 2017 में राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी तो वे इस परिवार के पांचवें कांग्रेस अध्यक्ष बने। राहुल ने 2019 में ये पद छोड़ा, तो फिर सोनिया गांधी ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी थी। एक नजर अब तक के कांग्रेस के अध्यक्ष रहे नेताओं पर डालते हैं।
जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री रहते समय पांच वर्ष तक कांग्रेस की कमान संभाली। पिता की तरह इंदिरा गांधी भी प्रधानमंत्री रहते हुए करीब पांच साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। वह पहली बार 1959 में अध्यक्ष बनीं और दूसरी बार आपातकाल के बाद 1978 में इस पद को संभाला। इन अध्यक्षों में कुछ लोग वे भी हैं जो गैर गांधी परिवार से होते हुए भी पार्टी में अपनी छाप छोड़ गए। या उनके कुछ फैसलों की वजह से उनके कुछ किस्से मशहूर हो गए।
के कामराज
1960 के दशक में इन्हें कांग्रेस का किंगमेकर कहा जाता है। वह इंदिरा गांधी की कैबिनेट में भी शामिल थे। वह दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1964 से 1967 के बीच अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने नेहरू के निधन के बाद शास्त्री और फिर इंदिरा को प्रधानमंत्री बनते देखा।
एस निजलिंगप्पा
कांग्रेस के नौंवे अध्यक्ष थे। 1968-69 के बीच जब कांग्रेस 1967 में हार गई थी। तब निजलिंगप्पा ने पार्टी की कमान संभाली। उन्होंने पार्टी को एकजुट तो किया, लेकिन पार्टी में खेमेबाजी की खबरों की हवाएं भी उड़ चुकी थी। 1969 में कांग्रेस टूट गई थी। इस हिसाब से कांग्रेस के आखिरी अध्यक्ष रहे।
देवकांत बरुआ
देश में साल 1975 में जब आपातकाल लगा तब देवकांत बरुआ ही कांग्रेस के अध्यक्ष थे। आपातकाल से लेकर 1977 में कांग्रेस की हार को उन्होंने अपने अध्यक्ष पद पर देखा।
पी वी नरसिम्हा राव
राव ऐसे नेता थे जो प्रधानमंत्री रहते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद पर थे। बतौर प्रधानमंत्री उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति की काया पलटने के लिए जाना जाता है।
सीताराम केसरी
सीताराम केसरी को कांग्रेस का सबसे विवादित नेता अध्यक्ष माना जाता है। उन्होंने 1997 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार गिरा दी जो सबसे ज्यादा चर्चित और विवादित मामला अब तक माना जाता है। इसेक बाद उन्होंने आईके गुजराल की सरकार से भी कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद इन्हें कांग्रेस ने पार्टी से निलंबित कर दिया था।
लगभग 20 सालों से अध्यक्ष सोनिया गाँधी
1998 में कांग्रेस को राजनीतिक संकट से उबारने के लिए कांग्रेस नेताओं ने गांधी परिवार का रुख किया। सोनिया आगे आईं और पार्टी की कमान संभाली। वह अगले 17 साल तक पार्टी अध्यक्ष बनी रहीं। उनके नेतृत्व में पार्टी 2009 और 2009 में सत्ता में रही। 2014 में बीजेपी के हाथों करारी हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन की बात चली थी मगर राहुल को परिपक्व नहीं समझा गया।
राहुल गांधी 2017 में पार्टी के अध्यक्ष बने। उनके कांग्रेस अध्यक्ष रहते पार्टी 2019 का लोकसभा चुनाव बेहद बुरी तरह हारी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठजोड़ काम नहीं आया। पार्टी में खेमेबाजी की खबरें आती रहीं। जब राहुल ने अध्यक्ष पद छोड़ने का ऐलान किया था तब कई कांग्रेसियों ने कहा कि कोई विकल्प नहीं है। आखिर में सोनिया को अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया गया।