Chandrayaan-3 : नई दिल्ली। चांद की सतह के करीब पहुंचने के बाद अपने चंद्रयान-3 के प्रॉपल्शन मॉड्यूल से लैंडर विक्रम अलग हो गया है। यानी अब चांद पर लैंड होने तक विक्रम अकेले ही दूरी तय करेगा। इसके साथ ही अब अब लैंडर की रफ्तार भी धीमी हो गई है। चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा।
इसरो ने इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि लैंडिंग मॉड्यूल को प्रणोदन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है। अब लैंडिंग मॉड्यूल को 18 अगस्त की शाम 4 बजे डी-बूस्टिंग पर थोड़ी निचली कक्षा में उतरने के लिए तैयार किया गया है।
प्रॉपल्शन मॉड्यूल से लैंडर विक्रम के अलग होने के बाद इसरो ने इसकी तस्वीर डालते हुए ट्वीट किया और लैंडर विक्रम की तरफ से प्रॉपल्शन मॉड्यूल को थैंक्स बोला। इसरो ने ट्वीट किया कि यहां तक छोड़ने के लिए शुक्रिया दोस्त। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इसके बाद लैंडर के अलग होने की भी जानकारी दी।
अब धीमी की जाएगी लैंडर की रफ्तार
इसके पहले चंद्रयान-3 बुधवार को चंद्रमा की 153 किलोमीटर गुना 163 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित हुआ था। इसके साथ ही चंद्रमा की सीमा में प्रवेश की प्रक्रिया पूरी हो गई थी। अब गुरुवार दोपहर बाद चंद्रयान-3 के प्रणोदन मॉड्यूल से लैंडर मॉड्यूल से अलग हो गया है। बात दे कि प्रॉपल्शन मॉड्यूल और लैंडर ने करीब एक महीने 3 दिन की यात्रा साथ की थी। अलग होने के बाद लैंडर को एक कक्षा में स्थापित करने के लिए ‘डीबूस्ट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजरने की उम्मीद है, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किलोमीटर दूर है।
23 अगस्त को भारत रचेगा इतिहास!
बता दें कि आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग 14 जुलाई को हुई थी। प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान-3 ने 5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। इसके बाद चंद्रयान-3 ने 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रमा की अगली कक्षा में प्रवेश किया था। चंद्रयान-3 को चंद्रमा के ध्रुवों पर स्थापित करने का अभियान आगे बढ़ रहा है। इसरो चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। चंद्रमा से उसकी दूरी धीरे-धीरे कम होती जा रही है। चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। इसके साथ ही भारत इतिहास रच देगा और चांद के दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा।
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