नई दिल्ली। केंद्र सरकार अगले हफ्ते संसद में प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली से सख्ती से निपटने के लिए एक नया विधेयक पेश कर सकती है। प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी करने वाले दोषियों को अधिकतम 10 साल की जेल और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाने की तैयारी है। सोमवार को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 को पेश किया जा सकता है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है।
गौरतलब है कि इस बिल को हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। बिल से जुड़े सूत्रों की मानें तो प्रस्तावित कानून के निशाने पर वे लोग होंगे, जो प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली करते हैं। यह बिल अनिवार्य रूप से संगठित अपराध, माफिया तत्वों और उनके साथ सरकारी अधिकारियों सहित मिलीभगत में पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
विधेयक में एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति का भी प्रस्ताव है, जो कम्प्यूटरीकृत परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए सिफारिशें देगी। गौरतलब है कि यह संयुक्त प्रवेश परीक्षा और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए परीक्षाओं सहित प्रतियोगी परीक्षाओं की भी निगरानी करेगा।
बजट सत्र की शुरूआत में संसद की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि सरकार परीक्षाओं में धांधली के संबंध में युवाओं की चिंताओं से अवगत हैं। इसलिए इस तरह की समस्याओं से सख्ती से निपटने के लिए एक नया कानून बनाने का फैसला लिया गया है। सूत्रों की मानें तो परीक्षा पेपर लीक एक राष्ट्रव्यापी समस्या के तौर पर उभरी है। इसलिए केंद्रीय कानून की जरूरत महसूस की गई है।
गुजरात जैसे कुछ राज्यों ने इस खतरे से निपटने के लिए कानून बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि राजस्थान में शिक्षक भर्ती परीक्षा, हरियाणा में ग्रुप-डी पदों के लिए सामान्य पात्रता परीक्षा (सीईटी), गुजरात में कनिष्ठ क्लर्कों के लिए भर्ती परीक्षा और बिहार में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा सहित अन्य परीक्षाएं पिछले साल प्रश्नपत्र लीक होने के बाद रद्द कर दी गई थीं।
देश में डिजिटल पेमेंट का बढ़ा दायरा, एक साल में 10.94 प्रतिशत की वृद्धि
मुंबई। देश में डिजिटल भुगतान में सितंबर 2023 से पहले के एक साल में 10.94 प्रतिशत की वृद्धि रही है। ऑनलाइन लेनदेन मापने वाले आरबीआई सूचकांक से यह जानकारी सामने आई है। आरबीआई का डिजिटल भुगतान सूचकांक सितंबर 2023 के अंत में 418.77 पर था, जबकि सितंबर 2022 में यह 377.46 था। वहीं, मार्च 2023 में यह सूचकांक 395.57 पर था। आरबीआई ने कहा कि सूचकांक सभी मापदंड़ों में बढ़ा है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को अपने बयान में कहा, आरबीआई-डीपीआई इंडेक्स सभी मापदंडों में बढ़ा है। आरबीआई ने बताया कि विशेष रूप से देश भर में भुगतान में वृद्धि दर्ज की गई है। बता दें कि केंद्रीय बैंक ने पूरे देश में भुगतान के डिजिटलीकरण की सीमा को आंकने के लिए आधार के रूप में मार्च 2018 में एक समग्र सूचकांक के गठन की घोषणा की थी। इसके तहत पांच व्यापक मापक शामिल किए गए हैं, जो अलग-अलग समय में देश में डिजिटल भुगतान के बारे में पता लगाता है। ये रिपोर्ट मार्च 2021 के बाद से प्रकाशित किए जाते हैं। ये चार महीने देर से मार्च 2021 से अर्धवार्षिक आधार पर जारी किया जाता है।